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________________ चार भागमां शुद्धिपत्रक आपवामां आव्यां छे. परंतु पांचमा भागमां शुद्धिपत्रक संजोग आधिन आपी शका नथी तो उपयोग करनारे क्षतिने ध्यानमा राखीने उपयोग करवा विनंती करीए छेए. आगमोद्धारकीनो आ परिश्रम आगमना अभ्यासिओने उपयोगी थइ पडे ते माटेनो छे. तो अभ्यासिओ तेने सार्थक करसे एवि मारि अभ्यर्थना छे मे मारि मति अनुसार जे प्रमाणे मारी बुद्धि चालि ते प्रमाणे आने सुन्दर बनाववानो अने शुद्धकरवानो परिश्रम कर्यो छे. जेम जेम अनुभव थतो गयो तेम तेम शुद्धारो कर्यो छे. आटलं छतां पण भले आ नामारु संपादन क्षतिवालु होय पण सज्जनो ते क्षतिने सुधारे अने सद्उपयोग करे तेवि अभिलासा छे. धाम दृष्टिदोषथी प्रेसदोषक्षा के बीजा कारणथी कांइया सिद्धतिविरुद्ध लखायु होय तेनो हु मिच्छामि दोक्कडं दउं छु. गुरुमहाराजनातो अनन्य उपकारज छे पण जेओ जेओए अमने सहकार आप्यो छे ते बधानो पण अत्रे आभार मानिए छीए. २०३५ मकरशक्रांति रविपुष्य Jain Education International ( १५ ) लि० आगमोद्धारक उपसंपदाप्राप्त चरणरेणु कंचनसागर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016078
Book TitleAlpaparichit Siddhantik Shabdakosha Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1979
Total Pages316
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, & agam_dictionary
File Size20 MB
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