SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 716
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आ कोशनी विशिष्टताओ * एमां मध्यकालीन गुजराती कृतिओना 66 संपादनग्रंथोमां अपायेला 71 शब्दकोशो संकलित करेला छे. आशरे 20,000 जेटला शब्दो एमां समाविष्ट छे.. * शब्दो साथे ए ज्यांथी लेवामां आव्या छे ए आधारग्रंथोनो निर्देश करवामां आव्यो ____छे, जेथी अभ्यासीओने मूळ शब्दप्रयोग सुधी पहोंचवानी सगवड मळे छे. * मूळ ग्रंथमां अपायेला शब्दार्थो एम ने एम स्वीकारी लेवामां नथी आव्या पण जरूर जणाई त्यां शब्दना प्रयोगस्थान सुधी जई शब्दार्थोने चकास्या छे ने एमां आवश्यक शुद्धि करी छे. आ शुद्धि माटे संपादके संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, देशी, गुजराती, राजस्थानी, हिंदी, फारसी, उर्दू शब्दकोशो तेमज अन्य संदर्भग्रंथोनी सहाय लीधी छे. ए रीते आ मात्र संकलित कोश नथी, संशोधित कोश छे. एने प्रमाणभूत बनाववानी सर्व कोशिश करवामां आवी छे. * कोई वार मूळना भ्रष्ट पाठ सुधारीने नवा शब्दने प्रकाशमां लाववानुं पण बन्युं छे. * संस्कृतादि भाषामांथी शब्दमूळ दर्शाववामां आव्युं छे ते उपरांत राजस्थानी-हिंदी-मराठी ___ वगेरे भाषाओना शब्दोनी समान्तरता दर्शाववामां आवी छे. * आ ग्रंथ मध्यकालीन गुजराती भाषाना ज नहीं पण मध्यकालीन राजस्थानी अने हिंदी भाषाना अभ्यासमां पण उपकारक बनी शके एम छे. त्रणे भाषानो केटलोक समान शब्दवारसो छे ज. एक नूतन शिखर आरोहण मित्र जयंत कोठारी एक पीढ अने खडतल पर्वतारोहक छे... जयंतभाईए 'गुजराती साहित्यकोश (मध्यकालीन)' अने 'जैन गूर्जर कविओ'नुं नवसंस्करण - एवां बे उन्नत शिखरो सर कर्या पछी हवे आ त्रीजुं शिखर पण सर कर्यु छे. जयंतभाईए मात्र शब्दसूचिओ, संकलन ज नथी कर्यु. एम करे तो जयंतभाई शाना? तेमणे ज्यांज्यां अर्थ वगेरे बाबत शंकास्पद जणाई त्यांत्यां चोकसाई अने शुद्धि करी छे, अने ते माटे अनेक कोशो उथलाव्या छे, अनेक मूळ कृतिओ के संलग्न कृतिओने तपासीने यथाशक्य प्रामाण्य साधवानी मथामण करी छे. आ कोशथी मूळ कृतिओने समजवामां जे सहाय मळशे, ते उपरांत घणी अर्थघटननी गूंचो पण ऊकलशे, अने तुलनात्मक सामग्री गुजराती शब्दोना इतिहास माटे पण सहायभूत बनशे... दृढ संकल्पबळे आवा कोशनुं परिश्रमसाध्य काम पार पाडवा माटे 'धन्यवाद' शब्द तो घणो मोळो लागे... जयंतभाईए जे नानो छोड उछेर्यो छे तेमांथी आगळ जतां वृक्ष बने एवी आशा अने श्रद्धा आपणे केम न राखीए ? हरिवल्लभ भायाणी Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016071
Book TitleMadhyakalin Gujarati Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy