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________________ थोडी शब्दार्थचर्चा ५८४ ५८४ मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश कर्यु छे. विराप.मां पाठ आ प्रमाणे छे : किसउं क्यांह रिाउ अह ओलवी. संपादकोए 'छुपावी' अर्थ आप्यो छे ते बराबर बेसे छे : "हवे शुं क्यांक पोतानी जातने छुपावीने रह्यो छे ?" मध्यकाळमां आ शब्द 'पचावी पाडवू, चोरीथी लई लेवु' एवा अर्थमां पण अन्यत्र वपरायो छे ज. जेमके, नलरा.मां - कहिनी वस्तु न जाय उलवी. संपादके 'खोटी रीते पचावी पाडवु एवो अर्थ आप्यो छे ते यथायोग्य छ : "(नळना राज्यमां) कोईनी वस्तु ओळवी/पचावी पाडी शकाती नथी." आ शब्द 'लोप करवो, द्रोह करवो' एवी जरा .जुदी अर्थछायामां पण वपरायो छे ए खास नोंधपात्र छे. जेमके आनंस्त.मां शासनमार्गनइ उलवइ एम उक्ति छे त्यां शासनमार्गनो लोप | द्रोह करवानो अर्थ छे. संपादके 'लोप करे' एवो अर्थ आप्यो ज छे. उपबा.मां साधुमार्गने तथा गुरुने ओळववानी वात छे त्यां पण ए ज अर्थ छे, अने संपादके ए अर्थ लीधो छे. हरिफा.मां गिउ हरि उलवी एवी उक्ति आवे छे तेमां संपादके आपेलो 'संताई' ए अर्थ शंकास्पद लागे छे, केमके मध्यकाळमां 'ऊलवq' / 'ओलवधू' एटले 'संतावु' नहीं, पण 'संताडवु' एवो अर्थ व्यापकपणे छे. अहीं द्रोह करवो एटलेके छेतरवू एवो अर्थ होवा संभव छ : "हरि अमारो द्रोह करी / अमने छेतरीने चाल्यो गयो." [एतद्, एप्रिल-जून, १९९४] २६. अनिवड, निवड आरारा.मां 'अनिवड' शब्द आ प्रमाणे वपरायेलो मळे छ : मत घउ कोई पासे अनिवड आईवा रे.. संपादके सं. 'अनिवर्तमांथी व्युत्पत्ति सूचवी ‘अनिवड'नो अर्थ 'साव? एकदम ?' एम नोंध्यो छे. देखीती रीते ज, संदर्भमां कंईक बेसी शके तेवा अर्थनो तर्क करवामां आव्यो छे. मूळ तरीके दर्शावेल सं. अनिवर्त' आवो अर्थ भाग्ये ज आपी शके. जिनरा.मां 'अनिवड' शब्द अनेक वार वपरायो मळे छे. जेमके, (१) अनिवड थातां वार न लागइ जे सगा.. (२) न कहइ फेरि वचन जउ किसा, तई अनिवड जाणी तो दिसा, Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016071
Book TitleMadhyakalin Gujarati Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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