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________________ न होई अने दार्शनिक संदर्भ धरावता होई सामान्य रीते छोडी दीधा छे. आम छतां जैन दर्शनना केटलाक शब्दो अन्य मध्यकालीन कृतिओमां सामान्यपणे वपराता जणाया ते साचववानुं पण बन्युं छे. शब्दो परत्वे एकथी वधारे स्थानोनो निर्देश थयो छे.. संपादके शब्दकोशमा मात्र स्तबक-अंतर्गत शब्दो ज समाव्या छ, स्तवनोमा रहेला शब्दो लीधा नथी पण स्तबकोमा मूळ शब्द आपी एनो अर्थ नोंधवानी एक रूढि छे तेथी स्तवनना केटलाक शब्दोने स्थान मळ्यु छे. जेमके स्तबकमां गंजी जीति न सकइ एम छे त्यां 'गंजी' मूळ स्तवननो शब्द छे ने एनो स्तबककारे 'जीति' अर्थ आप्यो छे. पण स्तबकमां मूळना बधा शब्दो आव्या नथी अने तेथी केटलाक लाक्षणिक मध्यकालीन शब्दो स्तवनोमां ज रह्या छे, एमने शब्दकोशमां स्थान मळ्युं नथी. स्तबककारे पोते शब्दना अर्थ कर्या छे ने क्यारेक पर्याये कथन कर्यु छे तेथी मध्यकालीन शब्दार्थ के कर्ताने अभिप्रेत शब्दार्थ प्रमाणभूत रीते आपणा हाथमां आवे एवं अहीं बन्युं छे. जोके संपादक एनो लाभ न लई शक्या होय एवां स्थानो पण देखाय छे. जेमके 'वृष'नो अर्थ संपादक 'श्रेष्ठ' आपे छे, परंतु 'ऋषभ' (वृषभ) शब्द समजावतां स्तबककारे आम लखेतुं छे : "वृष कहेतां आत्मभावरूप धर्म... भ कहेतां शोभइ..." संस्कृत कोशो पण 'वृष'ना 'धर्म, नीति, सत्कर्म' वगेरे अर्थो नोंधे छे. आरामशोभा रासमाळा, संपा. जयंत कोठारी, प्रका. प्राकृत जैन विद्याविकास फंड, अमदावाद, १९८९. अहीं समाविष्ट आरामशोभा कथानकने वर्णवती छ कृतिओ १४७९थी १७०५ सुधीनां रचनावर्षों धरावे छे. शब्दकोश २००० उपरांत शब्दोने समावे छे. एकथी वधारे स्थानोनो निर्देश पण छे. शुद्धिपत्रकमां थोडाक शब्दोना अर्थ सुधारवामां आव्या छे, जेनो अहीं लाभ लेवायो छे. शब्दकोशमां क्यांक क्रमभंग छे. आरारा (व). उपर्युक्त ग्रंथनो वनस्पतिकोश. एमां आशरे २५० शब्दो छे. उक्तिर. (साधुसुन्दरगणी विरचित) उक्तिरलाकर, संपा. जिनविजय मुनि, प्रका. राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर, जयपुर, १९५७. कृति, रचनावर्ष नथी, परंतु कर्तानो सर्जनकाळ १६२४थी १६२७ जाणवा मळे छे. ग्रंथमां आ कृति उपरांत अन्य बे अज्ञातकर्तृक औक्तिको पण छे. आरारा. ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016071
Book TitleMadhyakalin Gujarati Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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