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________________ [३०] ओखध; अउलवइ, उलवइ, ओलवइ, खइडां, खेडं, कइलि, कयलि, केलि; किण, केण; उपनउं, उपन्युं उब्भइ, ऊभइ वगेरे. 'ह', स्वार्थिक 'ल', 'इ', 'उ'ना प्रक्षेपो के लोपथी शब्दस्वरूप बदलायुं होय, के बीजां केटलांक ध्वनिपरिवर्तनो पण थयां होय. जेमके, उशंकल, ओशंकल, ओशिंकळ; ऊलखउ, ऊलिखउ; उमाहउ, उमाहलउ; कउतिग, कुतम, कुतिक, कुहुतग, कौतग, कौतिक, कौतुक; कियारइ, किवारइ, किहारि, किहारे, किहिवारि वगेरे. आवा शब्दो अहीं जुदीजुदी रीते रजू थयेला देखाशे. केटलीक वार आवा शब्दोने एक स्थाने एकठा करी लेवामां आव्या छे ने पछी दरेक शब्दने एने स्थाने पण मूक्यो छे ने प्रतिनिर्देश कर्यो छे. केटलीक वार आवा शब्दोने अलग ज राखी प्रतिनिर्देश कर्यो छे. तो केटलीक वार शब्दोने अलग राख्या छ ने प्रतिनिर्देश पण कर्यो नथी. खास करीने जे शब्दस्वरूप अने अर्थ परत्वे कशी भ्रान्तिने अवकाश न होय ते परत्वे प्रतिनिर्देश करवानु अनिवार्य लेख्युं नथी. अने ज्यां शब्दस्वरूपोर्नु मळतापणुं जलदी ख्यालमां आवे एवं न होय के ज्यां अर्थनी लाक्षणिक छायाओ विकसी होय के लीधेला. अर्थने घणा आधारोथी पुष्ट करवानो होय त्यां ए शब्दस्वरूपोने भेगा करवानुं अथवा जुदा राखी प्रतिनिर्देश करवानु आवश्यक लेख्युं छे. अहीं ए नोंधवू जोईए के केटलीक वार आवां शब्दस्वरूपो मूळ ग्रंथना संपादके ज भेगां करेलां होय छे. आधारग्रंथो __आ शब्दकोशमां दरेक मूळ शब्दो पछी तरत ए ज्यांथी प्राप्त थयो छे ते सघळा आधारग्रंथोनो निर्देश त्रांसां (इटॅलिक) बीबांथी करवामां आव्यो छे. ए माटे आधारग्रंथोना नियत करेला संक्षेपाक्षरो वापरवामां आव्या छे (जे संक्षेपाक्षरो पाछळ मूकेली आधारग्रंथोनी सूचि साथे जोडवामां आव्या छे). केटलीक वार एq बन्युं छे के मूळ आधारग्रंथना शब्दकोशमां शब्दनो जे अर्थ आपवामां आव्यो होय ते पछी शुद्धिपत्रकमां सुधारवामां आव्यो होय. आ संकलित कोशमां ए शुद्धिपत्रकनो अर्थ आमेज करवामां आव्यो छे अने तेथी आधारग्रंथना संक्षेपाक्षरने 'शु' जोडीने दर्शाववामां आवेल छे. जेमके, आरारा-शु. केटलीक वार मूळ आधारग्रंथमां शब्दकोश उपरांत टिप्पण के अनुवाद पण होय छे. शब्दकोशमां अर्थ आपवामां न आव्यो होय ते टिप्पण के अनुवादमांथी मळे अथवा शब्दकोशना अर्थ करतां टिप्पण के अनुवादमां कईक जुदो अर्थ होय अने ए वधारे बंधबेसतो होय एवं पण बन्युं छे. आ स्थितिमां टिप्पण के अनुवादनो आधार लेवानुं थयुं छे अने ए 'टि' के 'अनु' जोडीने दर्शाव्युं छे. जेमके, गुर्जरा-टि., हरिवि-अनु. ___ आधारग्रंथना निर्देश पूर्वे * निशानी आवे छे ते एम सूचवे छे के ए आधारग्रंथमां नोंधायेलो अर्थ यथायोग्य नहीं होई अहीं छोडी देवामां आव्यो छे. जेमके, Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016071
Book TitleMadhyakalin Gujarati Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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