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________________ जेमके, करमि (करमइता) घाडि सईनी (घाडि सईनी) खोटा वाचनमा केटलीक वार खोटो शब्दभंग रहेलो होय छे. जेमके, 'अनुभाव' ते खरेखर 'अनु भाव' (अने भाव) छे. 'घडी अरध घडी आल ज करे' ए पंक्तिमां संपादके 'आल' शब्द वांच्यो छे ते खरेखर 'घडीआल' (=समय दर्शाववा वगाडवामां आवती झालर) वांचवानो छे. अहीं पण खरं वाचन ( ) गोळ कौंसमां आपेल छे: अनुभाव (अनु भाव) आल (घडीआल) कोई वार खोटो शब्दभंग बे शब्दोने स्पर्शे छे. 'तपि उतारीउ अचट' एम वांची संपादके 'अचट' शब्द शब्दकोशमां लीधो होय, परंतु 'तपि उतारी उअचट' एम 'उअचट' शब्द वांचवो वधु योग्य होय. 'दीवटी आकडिइ' एम संपादके वांच्युं होय अने ए बे शब्दोने शब्दकोशमां दाखल कर्या होय, परंतु 'दीवटीआ कडिइ' एम वांचq योग्य होय तेथी बन्ने शब्दो बदलाई जाय. आ छेल्ला दाखलामां शब्दो आ रीते आपवाना थया छे : आकडिइ (दीवटीआ कडिइ) कडइ जुओ आकडिइ दीवटी (दीवटीआ) केटलीक वार एवं बन्युं छे के मूळ ग्रंथना संपादके आपेलो शब्द आम बराबर होय परंतु एटलाथी अर्थ बराबर न थतो होय के खोटो थतो होय ने मूळमांथी वधारे संदर्भ लेवो जरूरी होय. 'इक आछण पामी छांडती'मां संपादके 'इक आछण'ने शब्दकोशमां लीधेल होय पण 'आछण'नो संबंध 'इक' साथे नहीं, 'पाणी' साथे वास्तविक रीते होय, 'आछण पाणी' एटले 'नितरामण- पाणी' एवो अर्थ होय. त्यां 'इक आछण'ने स्थाने 'इक आछण पाणी छांडती' पूरी उक्ति आपवानी जरूर पडे. केटलीक वार शब्दने अलग जोवा करतां रूढिप्रयोगना भाग रूपे जोवानुं वधारे अर्थपूर्ण होय छे. त्यां एम करवानुं पण आ संकलित कोशमां इष्ट गण्युं छे. जेमके, अउले (अउले खाले वहे) अधर (अधर किया) अलजो (अलजो जाय) अहीं नोंधq जोईए के कोई वार कौंसमा उक्तिनो वधारानो अंश मूकवानुं के Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016071
Book TitleMadhyakalin Gujarati Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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