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________________ [३२] पुस्तकोनां कार्ड थई गयां हतां एमां केटलाक शब्दो फरीने दाखल करवानी स्थिति आवी. एनो प्रयत्न तो कर्यो छे, पण ए प्रयत्न पूरो सफळ थयो हशे, एकसरखो नियम प्रवर्त्यो हशे एम कहेवुं मुश्केल छे. संपादित ग्रंथोमांथी शब्दो लेवा जतां सौथी वधु मूंझवनारी बाबत तो ए बनी छे के एमां कृतिपाठना भूलभरेला वाचनने कारणे अथवा पाठनी भ्रष्टताने कार केटलाक खोटा शब्दो आवी गया छे. शब्द ज खोटो होय तो आ संकलित कोशमां केवी रीते आवी शके ? एटले आरंभमां तो आवा शब्दो छोडी देवानुं राख्युं हतुं. पण पछी देखायुं के केटलेक स्थाने पाठदोष के वाचनदोष तो पकडाय छे, पाठांतरनी मददथी के तर्कथी पाठने सुधारी शकाय छे, ने परिणामे मध्यकाळनो एक लाक्षणिक शब्द हाथमां आवे छे. ए शब्द केटलीक वार अन्यत्रथी भाग्ये ज मळतो होय. आवा शब्दने जतो करवानुं जिगर केम चाले ? पण आ रीते हाथमां आवेलो शब्द कई मूळ संपादित ग्रंथमां न होय. तो एने आ संकलित कोशमां मूळ ग्रंथनो आधार आपीने केवी रीते मूकी शकाय ? मथामण करतां आ गूंचनो मार्ग मळ्यो. मूळ ग्रंथनो शब्द तो राखवो ज ने कौंसमां साचो शब्द मूकवो. ए साचा शब्दने पाछो एना वर्णक्रममां मूकवो अने त्यां मूळ ग्रंथना शब्दनो प्रतिनिर्देश करवो. दखलाओथी आवात बराबर समजाशे. मूळ आधारग्रंथमां 'उथउ' शब्द नोंधायेलो छे. पण संदर्भमां 'ओघो', जैन मुनिनुं रजोहरण' ए अर्थ स्पष्ट छे तेथी पाठ 'उघउ' ज होवो जोईए. 'उथउ' ए हस्तप्रतनो भ्रष्ट पाठ होय के संपादकनो वाचनदोष होय. आ हकीकत आ संकलित कोशमां आ रीते रजू करी छे : उघउ जुओ उथ * उघउ [उघउ ] * उपबा. [ ओघो, जैन मुनिनुं रजोहरण ] शब्दनी पूर्व मूकेली फूदडी * ते पाठ खोटो के शंकास्पद होवानी निशानी छे. ] चोरस कौंसमां मूकेल छे ते पाठ आ संकलित कोशना संपादके विचारेलो [ छे. संकलित कोशना संपादकने पोते विचारेला पाठनी खातरी न होय एवं पण बने. पण मूळ पाठ संगत न लागतां एक तर्क रूपे बीजो पाठ मूक्यो होय. त्यां एनी पूर्वे पण फूदडी की छे. जेमके, * आणि [*आराडि] *उपवी ["उपची] केटलीक वार पाठांतरमांथी ज साचो पाठ सांपड्यो छे. ते ( ज मूकेल छे. Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only ) गोळ कौंसमां www.jainelibrary.org
SR No.016071
Book TitleMadhyakalin Gujarati Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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