SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [१२] पण आवा बधा प्रसंगो कंई अत्यारे याद न आवे. टीपेटीपे सरोवर भराय एवं आ कोशरचनामां थयुं छे. आ सौ प्रत्ये हुं ऊंडी कृतज्ञता अनुभवू छु. एवी ज कृतज्ञता हुं में जे शब्दकोशो वगेरे साधनोनो आ कोश रचवा माटे उपयोग कर्यो छे एमना निर्माताओ प्रत्ये पण अनुभवू छु. आ कोशने साधार बनाववामां एमनो फाळो घणो छे. अने जेमना ग्रंथोनी शब्दार्थसामग्री अहीं लीधी छे एमने केम भुलाय ? एमना खभा पर तो हुं ऊभो छु. आ ग्रंथनां घणांखरां कार्ड अने प्रेसकॉपी दीप्ति शाहे, एक वाणिज्यना विद्यार्थी पासे सहेलाईथी आशा न राखी शकाय एवी चोकसाईथी अने एवा रसथी तैयार करी आप्यां छे. कांतिभाई शाह, कीर्तिदा जोशी, नीता कोठारी, लिपि कोठारी, गाभाजी ठाकोर वगेरे केटलाके पण प्रसंगोपात्त आ कोशना काममां हाथ बटाव्यो छे. आ प्रकारनी स्नेहभावभरी सेवा मेळववा माटे हुं मारी जातने सद्भागी गणुं छु. __आवा संदर्भग्रंथना निर्माणने ग्रंथालयो ने ग्रंथपालोनी कृपा विना केम चाले ? श्रीमती सद्गुणा सी. यु. आर्ट्स कॉलेजला आचार्यश्रीओ अने ग्रंथपालिका श्री मृदुलाबहेन महेताए ग्रंथालय मारे माटे हमेशां खुल्लं राख्यु. ने एवं ज जी. एल. एस. आर्ट्स कॉलेजना आचार्य श्री मधुसूदन बक्षी तथा ग्रंथपाल श्री भोईवालाए कर्यु. आमणे कोईए मने विरल पुस्तको आपतां पण संकोच न अनुभव्यो ने मारे जेटलो समय राखवां पडे एटलो समय राखवा दीधां. लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिरनुं ग्रंथालय तो संशोधको-विद्वानो माटेर्नु ज ग्रंथालय छे. एनी उदार व्यवस्थानो में भरपूर लाभ उठाव्यो छे. गाभाजी ठाकोर मारफत गुजरात युनिवर्सिटीना पण अदेय विभागनां पुस्तको मने प्राप्य बन्यां. आटला लांबा समय सुधी चालेलु कोशकार्य ग्रंथालयोनी आ उदार मदद न मळी होत तो केवी रीते चाल्युं होत एवो विचार सहेजे आवे छे अने हृदय अत्यंत आभारवश बनी जाय छे. विद्याप्रीति अने विश्वासनुं आ परिणाम हतुं एम हुं समजुं . आ कोशनी योजना मने सोंपनार प्राकृत जैन विद्याविकास फंड अने एना मंत्री डॉ. के. आर. चन्द्रा, एने माटे प्रारंभिक आर्थिक जोगवाई पूरी पाडनार कस्तूरभाई लालभाई ट्रस्ट, एक तबक्के एना प्रकाशनमा रस बढावनार शारदाबहेन चीमनभाई एज्युकेशन रिसर्च सेन्टर तथा एना नियामक डॉ. जितेन्द्र शाह, अने छेवटे ए मोटी जवाबदारी पोताने माथे लेनार कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य नवम शताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षण निधि तथा एमां प्रेरक बननार मुनिश्री शीलचन्द्रविजयगणी - आ सौनो हुँ खरे ज उपकारवश छु. एमणे मने एक उत्तम विद्याकार्य करवानी ने एने जाहेरमां Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016071
Book TitleMadhyakalin Gujarati Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy