SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 205
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सुगंधं । - नंदी सूत्र - चूर्णि ( २/१३ ) नेरइयाणं णो उज्जोए, अंधयारे । नारकीय जीवों को प्रकाश नहीं है, अंधकार ही रहता है । विसुद्धभावत्तणतो य पवित्र विचार ही जीवन की सुगन्ध है । - भगवती सूत्र ( ५/६ ) मुत्तनिरोहेण चक्खु, वच्चनिरोहेण जीवियं खयइ । अत्यधिक मूत्र के वेग को रोकने से नेत्र नष्ट हो जाते हैं और तीव्र मलवेग को रोकने से जीवन ही नष्ट हो जाता है । - ओघनियुक्ति (१७६ ) बापण बिणा पोओ, न खइए महण्णवं तरिडं | अच्छे से अच्छा जलयान भी हवा के बिना महासागर को पार नहीं कर सकता है । ― - आवश्यक - नियुक्ति (६५ ) बलवा हणत्यहीणो, बुद्धिहीणो न रक्खइ रज्जं । जो राजा सेना, वाहन, अर्थ एवं बुद्धि से हीन है, वह राज्य की रक्षा नहीं कर सकता है । Jain Education International 2010_03 - व्यवहारभाष्य ( ५ / १०७ ) उवगरणेहि बिहूणो, जहवा पुरिसो न साहए कज्जं । साधनहीन मानव अपने अभीष्ट कार्य को सिद्ध नहीं कर पाता है । -व्यवहार-भाष्य-पीठिका ( १०/५४० ) ण हु वीरियपरिहीणो, पवन्तते णाणमादीसु । अशक्त व्यक्ति ज्ञानादि की भी सम्यक् साधना नहीं कर सकता है । - निशीथ - भाष्य (४८) आसललिअं वराओ, चापति न गद्दभो काउं । For Private & Personal Use Only [ १८५ www.jainelibrary.org
SR No.016070
Book TitlePrakrit Sukti kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJayshree Prakashan Culcutta
Publication Year1985
Total Pages318
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy