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________________ वत्तारि सुता अतिजाते, अणुजाते, अवजाते, कलिंगाले । कुछ पुत्र गुणों की दृष्टि से अपने पिता से बढ़कर होते हैं । समान होते हैं और कुछ पिता से हीन । कुछ पुत्र वंश का वाले -- कुलांगार होते हैं । खत्तारि फला आमेणामं एगे आममहुरे, आमेणामं एगे पक्कमहुरे । पक्केणामं एगे आम महुरे, पक्केणामं एगे पक्कमहुरे । कुछ फल कच्चे होकर भी थोड़े मधुर होते हैं । कुछ फल कच्चे होने पर भी पके हुए के समान अति मधुर होते हैं । कुछ फल पके होकर भी थोड़े मधुर होते हैं । कुछ फल पके होने पर भी अति मधुर होते हैं । फल के समान पुरुष के भी चार प्रकार होते हैं । आवायभहएणामं एगेणो संवास संवास भहएणामं एगेणो आवाय एगे आवाय वि, संवास भए एगे णो आवाय भद्दए, णो संवास कुछ पिता के सर्वनाश करने - स्थानांग (४/१ ) कुछ मनुष्यों की भेंट होती है; किन्तु सहवास अच्छा नहीं होता । कुछ का सहवास अच्छा रहता है, भेंट नहीं । कुछेक की भेंट भी अच्छी होती है। और सहवास भी । कुछेक का न सहवास अच्छा होता है और न भेंट ही । - स्थानांग (४/१ ) - स्थानांग (४/१ ) भद्दए । भद्दए । वि । भद्दए । एगे अप्पणो वज्जं पासइ, परस्स वि 1 एगे णो अप्पणो वज्जंपासह, णो परस्स । Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only कुछ मनुष्य अपना दोष देखते हैं, दूसरों का नहीं । हैं, अपना नहीं । कुछ अपना दोष भी देखते हैं, दूसरों का दोष देखते हैं न दूसरों का । कुछ दूसरों का देख भी । कुछ न अपना - स्थानांग (४/१ ) [ १०६ www.jainelibrary.org
SR No.016070
Book TitlePrakrit Sukti kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJayshree Prakashan Culcutta
Publication Year1985
Total Pages318
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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