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________________ सुवेगा-सुषि] शब्दरत्नमहोदधिः। २१३१ सुवेगा स्त्री. (सुष्ठु वेगो यस्याः) भासsize0. | सुशीता स्त्री. (सुष्ठु शीता) शतपत्री वनस्पति, शीतल सुवेल पुं. (सुगता वेला समुद्रकूलं येन पा. स.) त्रिट | वाजी स्त्री.. पर्वत- श्रुत्वा दाशरथी सुवेलकटके साटोयमघे सशीम पं. (स+श्य-मक सम्प्रसारणं च) शीत स्पश. धनुष्टङ्कारैः परिपूरयन्ति ककुभः प्रोच्छन्ति कोक्षेयकान्- ४. स्पश. (त्रि. सु+श्य-मक् संप्र०)शात स्पशवाणु, अनघराधये ६।१७। (त्रि. शोभना वेला मर्यादा ઠંડા સ્પર્શવાળું. स्थितिर्यस्य) शान्त, न, नम.. | सुशील पुं. (सु-सुन्दरं शीलमस्य) . न. विनो सुवेश पुं. (सुखेन विश्यते उपभुज्यते, सु+विश्+कर्मणि पावय२, सा२. स्वत्मावा. (त्रि. सु- सुन्दरं शीलं घञ् शोभनो वेशश्च) धोनी सेसी, सारी वेश. यस्य) सुं८२ यारित्रवाणु, स॥२॥ स्वभाववाणु, त्वया (त्रि. शोभनो वेशो यस्य) स॥२॥ उत्तम. वेशवाj. सुशीलव्रतपुण्ययुक्तया समुद्धृतं साध्वि ! पुनः सुव्यक्त त्रि. (सुतरां व्यक्तः) अत्यन्त मुद्यु, घj४ | कुलीनया-महा० ३।२९७।४३। स्पष्ट, अत्यन्त 4.32. सुशीलता स्त्री., सुशीलत्व न. (सुशीलस्य भावः, सुव्रत पुं. (सुष्ठु व्रतं यस्य) ते. नामे वीसमा छैन | तल्+टाप्-त्व) सुशास५, सुंवाणाधु, सा२। तीर्थ४२-मुनिसुव्रतस्वामी. (त्रि.) सा२। प्रतवाणु. ચારિત્ર્ય-વાળાપણું. सुव्रता स्त्री. (सुष्ठु व्रता) स॥२॥ प्रतवाणी स्त्री, सुशील सुशीला स्री. (सुन्दरं शीलं यस्याः ) २॥नु२५% नी में य, ५४२मा छैन तीर्थ७२नी माता राए. सुशर्मन् पुं. (शृ+मनिन्, सुष्ठु शर्म सुखं यस्य) ते | सुश्रीक त्रि. (सुन्दरी श्रीरस्य-कप्) सुं८२ शोभावाj. નામે એક રાજા, ત્રીજા મનુનો એક પુત્ર, તે નામે ! (.) सही वृक्ष. मे निघ. ना . (त्रि. सुष्ठु शर्म सुखं यस्य) | सुश्रुत पुं. (सुश्रूयते, सु+श्रु+कर्मणि-क्त) विउित्सा५९॥ सुजवाणु, सुं४२ सुमवाj. (न. सुष्ठु शर्म) શાસ્ત્રનો કર્તા વિશ્વામિત્રનો તે તેમનો એક પુત્ર, सुं६२ सुम, उत्तम. सुम, मे. पुत्र.. તેણે રચેલો આયુર્વેદનો એક ગ્રંથ, જે આજે પણ सुशल्य पुं. (सुष्ठु दृढं शल्यं कण्टकं यस्य) २र्नु ભારતવર્ષનો પ્રાચીનતમ આયુર્વેદનો પ્રમાણિક ગ્રંથ 53. मनाय छे. (त्रि. सु +श्रु+कर्मणि क्त) सारी ते सुशवी, सुषवी स्री. (सु+शव्+अच्+गौरा. ङीष्/ સાંભળેલ. सुष्ठु+अच्+ङीष्) आसान 13. आणुं . सुषम त्रि. (सुन्दरः षमः) भनी२, सुन्६२, समान, सुशाक न. (सुष्ठु शाको यस्मात् सु-शाकं वा) आई, | सदृश्य. dimd, उत्तम us. (पुं. सुष्ठु शाको यस्य) सुषमदुःषमा स्त्री. (सुषमेन दुःषमः-टाप्) नाम ભીંડાનું શાક. પ્રસિદ્ધ બે કોડાકોડી સાગરોપમનો ત્રીજો આરો-એક सुशिख पुं. (सुष्ठु शोभना शिखा यस्य) सुं४२ शिvaij, શ્રેષ્ઠ ટોચવાળું. सुषमा स्त्री. (सुन्दरः षमः, टाप्) ५२५ शोभा, घl सुशिखा स्त्री. (सुष्ठु शोभना शिखा) मयूरशियावृक्ष, उत्तम. शोभा- 'तरुकुलसुषमापहारां जनयन्ती जगति सुं६२ शवाणु, -मध्यं विषीदति बृहत्स्तनभारभीतः जीवजातातिम् । केन गुणेन भवानीतात ! हिमानीमिमां श्रान्तेव दृष्टिरमला सुशिखासमूहः-भागवते ३।२०।३६। वहसि' -भामिनीविलासे । नागम प्रसिद्ध ३९ सुशीत न. (शोभनं शीतम्) पाणु यन्न. (पुं. सुष्ठु 18150 सा५मनी 40. भारी-. .. शीतः) ५. शात २५२, नानु पी५२नु उ.. सुषामन् त्रि. (सुष्ठु साम यस्य सुषामा. षत्वम्) सुं६२ (त्रि.) अत्यन्त शीत, घj ४ ४. મધુર વચન બોલનાર, સારાં સાન્તન વચન બોલનાર, सुशीतल न. (सुष्ठु शीतलम् प्रा. स.) मे तन माह बोलना२. सुगन्धी घास. (त्रि. सुष्ठु शीतलः) अत्यन्त शीतस, | सुषि स्री. सुषिर स्त्री., न. (सुष्+इन् पृषो. शस्य सः/ घj ४ - निर्मलस्वादु सलिलं मनोहारि सुशीतलम् । शुष्+किरच् पृषो. शस्य सः) वध, 5tj, पोतो -महा० ३१६५।४। ____iस, छे६, ना.. . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016069
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages562
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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