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________________ ब्रह्मगार्ग्य-ब्रह्मद] शब्दरत्नमहोदधिः। १५९३ ब्रह्मगार्ग्य (पु.) तनामनी में षि. | ब्रह्मज पुं. (ब्रह्मणो जायते जन्+ड) उ२७५ -७६L. ब्रह्मगिरि पुं. (बह्मणो गिरिः पर्वतः) ते ना. से. पर्वत. (त्रि. ब्रह्मणः जायते जन्+ड) बाथी. प६८ थयेस, ब्रह्मगीता स्त्री. (ब्रह्मणा कथिता गीता) 'भाभारत'नाथी. उत्पन्न थनार. અનુશાસનપર્વના ૩પમા અધ્યાયમાં બ્રહ્માએ ગાયેલી ब्रह्मजटा स्त्री. (ब्रह्मणो जटेव संहता) मन वृक्ष. गीता. ब्रह्मजामल (न.) बहायामल यंत्र. ब्रह्मगुप्त (पुं.) में ज्योतिर्वि६ ६. स. ५८८i ब्रह्मजार (पुं.) बासना पत्नीनो प्रेमी.. विद्यमान सतो. ब्रह्मजिज्ञासा स्त्री. (ब्रह्मणः जिज्ञासा) बहाने वानी ब्रह्मगोल (पं.) विश्व... २७. ब्रह्मगौरव (न.) बहाथी. मष्ठित सस्त्रनु सम्मान. ब्रह्मजिज्ञास त्रि. (बह्म ज्ञातुमिच्छु:, ज्ञा+सन+उ) ब्रह्मना ब्रह्मग्रन्थि (पु.) नी50. Dis, ul२ विशिष्ट स्व३५ने व याना२. सiधो. ब्रह्मजीविन पुं. (ब्रह्न वेदस्तद्विहितेन श्रौतकर्मणा जीवति, ब्रह्मघात पुं. (ब्रह्मणः घातः) महाडत्या, नो. ___ जीव+णिनि) श्रौत- स्मानी . याथी पोतानी वध, ब्रह्मययन नाश. આજીવિકા મેળવનાર, બ્રાહ્મણ વેદ ઉપર જીવનાર. ब्रह्मघातक, ब्रह्मघातिन् त्रि. (ब्रह्माणं विप्रं हन्ति, ब्रह्मज्ञ त्रि. (ब्रह्म जानाति, ब्रह्म+ज्ञा+क) बाने हन्+ण्वुल्/ब्रह्माणं विप्रं हन्ति, ब्रह्म+णिनि) 46.ने. नार-बहावेत्ता, शास्त्र वगेरे ना२. (पुं.) મારી નાંખનાર, બ્રહ્મહત્યા કરનાર. वि.], तिय. ब्रह्मघातिनी (स्री.) तुना भी. हिवसनी. २०४२६u. ब्रह्मज्ञान न. (ब्रह्मणि ब्रह्मविषये यद् ज्ञानम् यद्वा ब्रह्मघोष पुं. (ब्रह्मणो वेदस्य घोषः) वेवनि, वनो श०६. ब्रह्मघ्न त्रि. (ब्रह्माणं विप्रं हन्ति, हन्+टक्) बहालत्या ब्रह्मणः ज्ञानम्) 6. विषय शान 'डुबह छु' २नार. मे शान, बान शान. ब्रह्मघ्नी स्त्री. (ब्रह्मघ्न+स्त्रियां डीप्) दुवा२ वनस्पति. ब्रह्मणस्पति पुं. (ब्रह्मण पतिः अलुस. निघण्टौ एक. ब्रह्मचक्र न. (ब्रह्मनिर्मितं चक्रम्) 4-1२७॥त्म ___ पदत्वम्) AL. तिनो स्वामी, मंत्री स्वामी. સંસારરૂપી ચક્ર-દુનિયા, “રુદ્રયામલ'માં કહેલ દીક્ષાને ब्रह्मण्य पुं. (ब्रह्मणे हितः, यत्) विष्णु -ब्रह्मण्यो ब्रह्मकृद् ઉપયોગી એક ચક્ર. ब्रह्मा ब्रह्म ब्रह्मविवर्धनः-महा० १३।१४९।८४ । ब्रह्मचर्य न. (ब्रह्मणे वेदग्रहणार्थं तपसे वा चर्य (पुं. ब्रह्मन्+यत्) GE२ वृक्ष, मुंघास, ताउनु आचारणीयम्) प्रहाय प्रत - ब्रह्मचर्य जर, शनैश्वर, सही, ६, त५. (त्रि. ब्रह्मणे हितं, गुप्तेन्द्रियस्योपस्थस्य संयमः' -भा० । नो माया यत्) LL हितनु, हा उपयोग. (त्रि. પછી ગૃહસ્થાશ્રમી થતાં સુધીમાં આચરણ કરવાના ब्रह्मणि तपसि साधुः यत्) तपस्वी, तपोनिष्ठ, वह नियम - अविप्लुतब्रह्मचर्यो गृहस्थाश्रममाचरेत्-मनु० કે શાસ્ત્રમાં સ્થિત. ३।२। योगना ३५. यम-संयमविशेष. (पुं. ब्रह्मणे ब्रह्मतत्त्व न. (ब्रह्मणः तत्त्वम्) हार्नु तत्व, ५२मात्म शास्त्रग्रहणार्थं तपसे वा चर्या यस्य) या, त५. तत्प, वर्नु तप. વગેરે માટે સંયમધારી પુરુષ. ब्रह्मता स्त्री., ब्रह्मत्व न. (ब्रह्मणो भावः, तल+टाप्ब्रह्मचर्या स्त्री. (ब्रह्मन+चर+भावे क्यप टाप) बायर्य त्व) ब्रानो धर्म, बाह बनेल. ऋत्विनो धर्म, व्रत, योगना ३५. यम-संयम, सतीत्प, ठीमाय. ना५४, शुद्ध महानो भाव. -ब्रह्मत्वममरेशत्वं देवत्वं ब्रह्मचारिणी स्त्री. (ब्रह्मचारिन्+स्त्रियां ङीप्) बायर्य । मरुतस्तथा-मार्कण्डेये ५७।६०।। undl स्त्री, हु-हेवी, वा२९ ता. ब्रह्मतीर्थ न. (ब्रह्मणस्तीर्थम्) पु०४२ तीर्थ, पुष्४२भूर. ब्रह्मचारिन् पुं. (ब्रह्म ज्ञानं तपो वा आचरति | ब्रह्मतुङ्ग (पुं.) ते. नामनी मे. पर्वत... अर्जयत्यवश्यम्, ब्रह्म + चर्-आवश्यके+णिनि) | ब्रह्मद पुं. (ब्रह्म शास्त्रं ददाति, दा+क) उपनयन, બ્રહ્મચારી, બ્રહ્મચર્યાશ્રમનું પાલન કરનાર પુરુષ. | જનોઈ સંસ્કાર કરી વેદશાસ્ત્ર ભણાવનાર આચાર્ય. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016068
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages838
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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