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________________ २४४ शब्दरत्नमहोदधिः। [असम्बद्धार्थव्यवधान-असम्यक्प्रयोगः असम्बद्धार्थव्यवधान त्रि. ४ो. असंगत वातन. वय्ये | असम्भोग पु. (न सम्भोगः) १. संमोnो अभाव, भावीन. रोही.वीधी. - तस्मान्नासम्बद्धार्थव्यवधानैक- २. मोगवटो नलि ते. वाक्यताभी० सू० ३।१।२१ असम्भोग त्रि. (न सम्भोगः यस्य) १. संमोग वार्नु, असम्बन्ध त्रि. (न सम्बन्धः यस्य) सम्मान गर्नु. ભોગવટા વગરનું. असम्बन्ध पु. (न सम्बन्धः) संबंधन अभाव, ५२-५२ असम्भोज्य त्रि. (न सम् भुज् णिच् ण्यत्) 8 मोशन सन्वयन समाव. -व्याप्तिः साध्यवदन्यस्मिन्नसम्बन्ध સમારંભમાં ભેળવવા યોગ્ય ન હોય. उदाहृतः-भाषा० असम्भ्रम पु. (न सम्भ्रमः) १. सारी शत. uildil असम्बाध त्रि. (नास्ति सम्बाधा अन्योन्यं पीडाप्रतिबन्धो समय, २. म.२८ नलि ते. -शशंस तुल्यसत्त्वानां वा यत्र) १. ५२५२ संघर्ष३५ पी॥२लित, २. छूटु सैन्यघोषेऽप्यसंभ्रमम् रघु० । वायुं, 3. प्रतिधि २डित, २७त. वगरनु. | असंभ्रम त्रि. (न सम्भ्रमः यस्य) सारी राते. uiln. असम्बाधा स्त्री. (न संबाधा) सारी शतनी. पाधानी वगरनु, सम2 रनु, त्व२।२रित. અભાવ, ચૌદ અક્ષરના ચરણવાળો એક છંદ. असम्मत त्रि. (न सम्मतः) अनुमोहन, २हित शत्रु, असम्बोध त्रि. (न सम् बुध् घञ्) समारीनी समाव. अस्वीकृत, स.शि.४२. -असम्मतः कस्तव मुक्तिमार्गः -कुमा०) असम्भव पु. (न संभवः) १. संभवनी अमाव २. समावेशनी अमाव, -असम्भवो हेममृगस्य असम्मति स्त्री. (न सम्मतिः) सम्मतिनी. समाव. जन्म-हितो० असम्मति त्रि. (न सम्मतिर्यस्य) सम्मति. वसनु. असम्भवत् त्रि. (सम्+भू+शतृ) नाहीतुं, न संभवतो. असम्मान न. (न सम्मानम्) सन्माननी अमाव, अपमान. वस्तु, ३, न. थवा योग्य. असम्मान त्रि. (न सम्मानं यस्य) सन्मान कार्नु, असम्भव्य त्रि. (सम्+भू+कर्तरि यत्) 6५२नी. मथ अपमानवा. मो. असम्भाविन्. असम्मित त्रि. (न सम्मितः) अपरिमित-समा५. असम्भावना स्त्री. (न सम्भावना) संभावनानी समाव. असम्मुग्ध त्रि. (न सम्+मुह+क्त) . संदेड नथी. असम्भावनीय त्रि. (न सम्भावनीयः) भानी. न. 5य. કર્યો તે, પંડિતાઈના અભિમાન વગરનું. તેવી વસ્તુ વગેરે. असम्मूढ त्रि. (न सम्मूढः) सत्यंत भू नलित, स्थिर असम्भावित त्रि. (न सम भ णिच क्त) अयोग्य. निश्चियवाणु, प्रान्तिलित. - स्थिरवृत्तिरसम्मूढो असम्भावितोपमा त्रि. (न सम्भाविता उपमा यस्याः सा) ब्रह्मविद् ब्रह्माणि स्थितः-गीता ।। એવી સમાનતા બતાવવી કે જે અસંભવ હોય. | असम्मृष्ट त्रि. (न सम्मृष्टः) १. सासूई न&ि 3३८, असम्भाष्य त्रि. (न सम् भाष् ण्यत्) ॐनी. साथे. वात. २. ५२२५२ संघर्ष सहित, 3. पाधा नु. કરવી યોગ્ય ન હોય. असम्मोह पु. (न सम् मुह घञ्) १. मोनो अभाव, असम्भूति त्रि. (न सम्भूतिः) न. थयेद, न. पययेद, २. प्रभावाणु यथार्थ शान, 3. साथी. अंतहट, સંભવનો અભાવ, અસંભવ. ४. भाया प्रमथी. भुति, ५. मात्म. संव२४, असम्भूति स्त्री. (न सम्भूतिर्यस्याः) प्रति३५. ४॥२४. . सत्यशान. -बुद्धिज्ञानमसम्मोहः क्षमा सत्यं दमः असम्भृत त्रि. (न सम्भृतः) १. यत्न विना सिद्ध थयेट, शम:- गीता २. सारी सते. न. पार्षद -असंभृतं मण्डनमङ्गयष्टे:- असम्मोह त्रि. (न सम्मोहः यस्य) भोलित, iति२डित, कु० १३१. સ્થિર બુદ્ધિવાળું. असम्भेद पु. (न सम्भेदः) मे५-संसा नलि ते, | असम्यच् त्रि. (न सम्यक्) साई नलित, अयोग्य, समेह. अयुत. असम्भेद त्रि. (न सम्भेदो यस्य) भे॥५. पर्नु, असम्यक्प्रयोगः त्रि. (असम्यञ्च् प्र युत् घञ्) अशुद्ध સંસર્ગરહિત, અભિન્ન ____ व्यवहार, मोटी ३दि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016067
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages864
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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