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________________ - प्रथमकाण्डम् नृत्यवर्गः ७ ॥अथ पातालवर्गः प्रारभ्यते ॥०॥ पातालस्यादधो लोको बलिस रसातलम् । बिलं तु सुषिरं क्लीबं कुहरं विवरं स्मृतम् ॥१॥ रोक छिद्रं रन्ध्रमथ श्वभ्रे गर्ताऽऽवटावुभौ । ध्वान्ते तमिस्रं तिमिर मन्धकारोऽस्त्रियां तमः ॥२॥ अल्पे ध्वान्तेऽवतमसं घोरेऽन्धतैमसं तथा । सर्पस्तु भुजगो व्यालो द्विजिह्वोऽहिः सरीसृपः ॥३॥ चक्षुःश्रवाः फणी काकोदरो भोगी भुजंगमः । पन्नगः कुण्डली चक्री भुजंगः पवनाशनः ॥४॥ ॥ नृत्यवर्ग समाप्त ॥ - हिन्दी-(१) तन्द्रा के तीन नाम-तन्द्री १ तन्द्रा २ प्रमीला ३ स्त्री० । (२) भ्रकुटि के दो नाम--भृकुटि भ्रकुटि २ स्त्री० । ३ कम्प के द नःम-कम्प १ बेपथु २ पु० । (४) उत्सव के पांच नाम-उर्षे १ क्षण २ मुह ३ उत्सव ४ उद्धव ५ पु० । (५) स्वभाव के तीन नाम-स्वभाव १ निसर्ग २ पु०, प्रकृति ४ स्त्री० (६) प्रसन्नता को 'कृपादृष्टि' कहते हैं स्त्रो० । . हिन्दी-(१) पाताल के चार नाम---पाताल नपुं० अधोलोक २ पु०' वलिसद्म ३, रसातल ४नपुं० । बिल के सात नाम बिल १, सुषिर २, कुहर ३, विवर ४, रोक ५, छिद्र, ६, रन्ध्र ७ नपुं । (३) खड्ढे के तीन नाम--श्वभ्र १, गर्त, २, अवट ३ पु० । (४) सामान्य अन्धकार के पांच नाम --ध्वान्त २, तमिस्र २, तिमिर ३, समस् ४ नपुं०, अन्धकार ५ भबी० । (५) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
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