SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 64
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रथमकाण्डम् वाणीवर्गः ६ प्रतिज्ञावचने प्रोक्तः शास्त्रविद्भिः पुमानयम् ।। पृच्छा प्रश्नोऽनुयोगश्च प्रतिवाक्योत्तरे समे ॥१८॥ घोषणोच्चैस्तु घोषो यः स्तुतिः स्तोत्रं स्तवोनुतिः। भानेडित द्विरुक्तं च पुनः पुनरुदाहृतम् ॥१९॥ परोक्षे निन्दनं लोके पृष्ठमासं नपुंसकम् । कुत्सा जुगुप्सानिन्दा स्त्री परिवादाऽपवादवत् ॥२०॥ आक्षेपो गर्हणायां स्यात् काकुः स्त्री विकृति व॑ने । कैठिनं च कठोरं च कर्कशं परुषं वचः ॥२१॥ स्यात्सम्भाषणमालापः प्रलापोऽनर्थभाषणम् । हिन्दी-(१) प्रश्न के तीन नाम-पृच्छा १ स्त्री०, प्रश्न २, अनुयोग ३ पु० । (२) उत्तर के दो नाम-प्रतिवाक्य १, उत्तर नपुं० । (३) घोषणा के दो नाम-घोषणा १ स्त्री०, घोष २ पु० । (४) स्तुति के चार नाम-स्तुति १ नुति २ स्त्री० । स्तोत्र ३ नपुं० स्तव ४ पु० । (५) दुवारा कथन के दो नाम-मानेडित १, द्विरुत २ नपुं० । (६) परोक्ष में निन्दा का एक नाम-पृष्ठमांस १ नपुं० । (७) निन्दा के सात नाम-कुत्सा १, जुगुप्सा २, निन्दा ३, गर्हणा ४ स्त्री० परीवाद ५ अपवाद ६, आक्षेप ७ पु० । (८) ध्वनि विकार का एक नाम-काकु १ स्त्रो० । ९) कठोर के चार नाम-कठिन १,कठोर २, कर्कश ३, परुष ४ नपुं० । १० सम्भापणका एक नाम-आलाप १ पुं० ।(११) अर्थशन्य वचन का एक नाम-प्रलाप १ पुं० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy