SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 377
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तृतीयकाण्डम् ३६४ लिङ्गादिनिर्णयवर्गः ५ 'रोमन्थो दृति सीमन्तौ हरिदुद्गीथ बुदबुदाः॥२३॥ स्तूपः फेनोऽर्बुदः कुन्दः कासमर्दश्च पूपकः । कण पक्षुर चुक्राश्च क्षत्रिये नाभिरातपः ॥२४॥ क्षरप्रः केदरः पूरो गोल पुद्गल हिंगुलाः । मल्लो भल्लश्च वेतालः पुरोडाशस्तु पट्टिशः ॥२५॥ रभसश्चैव कुल्माषः कटाहश्च पतद्ग्रहः। क्लीब इत्यधिकारेऽस्मिन् उक्तान्येत् समुदाहृतम् ॥२६॥ (१) रोमन्थ (चर्चित चर्वण) शब्द, दृति (चर्मपुट मशक) शब्द, सीमन्त (केश विन्यास) शब्द, हरित् (दिशा) शब्द, उद्गोथ, (सामवेद ध्वनि प्रणव) शब्द, बुदबुद (जल बुदबुदे परपोटे) शब्द स्तूप (ऊंचा भाग) शद्ब, फेन शब्द, अर्बुद (दशकरोड़) शब्द, कुन्द, (फूलविशेष) शब्द, कानमर्द (वेशवारविशेष) शब्द, पूषक (मालपूरा) शब्द, कणप (प्रास तलवार) विशेष) शब्द, क्षुर (छुरदा) शब्द, चुक (स्वटाइ) शब्द एवं क्षत्रिय विशेष अर्थ में नाभि शब्द एवं आतप (तरका धूप) शब्द, क्षुरप्र (बाण विशेष) शब्द, केदर (तरु विशेष) शब्द, पूर (जल प्रवाह) शब्द, गोल (मण्डल) शब्द, एवं पुद्गल (परमाणु) शब्द, और हिङ्गल (होङ्ग) शब्द पुल्लिंग में प्रयुक्त होते हैं । (२)मल्ल (पहलवान) शब्द, भल्ल (भाया) शब्द. वेताल (भूतयोनि विशेष) शब्द, एवं पुरोडाश (हवि विशेष) शब्द एवं पटिश (शस्त्र विशेष) शब्द, रभस (वेग) शब्द, कुल्माघ (कांजी) शब्द, कटाह (कराह, पात्रविशेष) शब्द , एवं पतद्ग्रह (पिकदानी) शब्द पुंल्लिङ्ग में प्रयुक्त होते हैं। पुल्लिङ्ग समाप्त । (३) अब यहां से नपुसक का अधिकार किया जाता है जिसमें कि उपरोक शब्द Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy