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________________ द्वितीय काण्डम् २३९ वणिग्वर्गः १० दशेशेटी घटी पञ्च - प्रस्थी स्यात्प्रचशेटिका | दशशेटी भवेद् द्रोणः स्त्रियां खारी मणः पुमान् ॥ ५१ ॥ वोहो द्वादश खारी स्याद् वकय पृपाकरा । अक्षक तु तोळाया मक्षः षोडशमाषकः ॥५२॥ गुञ्जानामष्टकं माषो मानार्थे क्रम आहतः । स्वापतेय वसुद्रव्य रिक्थवर्थ द्रविणानि च ॥५३॥ हिरण्य द्युम्न वित्तानि रा अर्थ विभवा वपि । एको दश शतं तद्वत् सहस्र मयुतं तथा ॥ ५४ ॥ ― हिन्दी - (१) धारा (दश सेर वजन) के दो नाम - दशसेटी १, घटी २ स्त्री० । (२) पसेरी (पान सेर) वजन के दो नामपञ्चप्रस्थी १, पञ्चशेटी २ ( पञ्चशेटिका ) स्त्री० । (३) मापविशेष (घाड़ा दश सेर वजन ) का एक नाम - द्रोण १ पु० । (४) एक मन वजन के दो नाम - खारी १ स्त्री०, मण २ पु० । (५) एक गाड़ी पर सामान्य रूप से बारह मन वजन रक्खा जाता है उस का एक नाम - वाह १ पु० । ( ६ ) वटवारा विभाजन करनेवाले के दो नाम - वण्टकरी १, पृषाकरा २ स्त्री० (अंश, भाग पु० ) । (७) तोला के तीन नाम - अक्ष १ (सोलह माष [ उड़द ] का बराबर 'अक्ष' का माप माना गया है) कर्ष २ पु०, तोला ३ स्त्री. 1 (८) आठ माष का बराबर 'गुञ्जा' होती है स्त्री० । (९) धन के बारह नाम - स्वापतेय १, वसु २, द्रव्य ३, रिक्थ ४, ऋक्थ ५, द्रविण ६, हिरण्य ७, घुम्न ८, वित्त ९ नपुं०, रा [] १०, अर्थ ११, विभव १२ पु० । (१०) व्यवहार के लिए संख्याएंएक १ त्रि०, दश १० नपुं, शत १००, सहस्र १००० पु. नपुं., Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
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