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________________ द्वितीयकाण्डम् २३३ वणिग्वर्गः १० 'जरद्रवः स्याद्वृद्धोश्रो महोक्षंस्तु महावृषः । जातोक्षस्वरुणः सद्यो जाते तु तैर्णकः स्मृतः ||२७|| वत्सः शकृत्करि बल्ये "दम्य बत्सतरौ ततः । आर्षभः स्पृष्ट तारुण्ये 'इष्टवरः षण्ड गोपती ||२८|| गोस्कन्धः स्याद्वहः " सास्ना स्त्रियां ना गलकम्बलः । "प्रासङ्गया शाकटा युग्या युगादीनान्तु वोढरि ॥ २९ ॥ एवं हलादि वोढारो हालिकाद्या विदेलिमाः । १२ (१) बूढे बैल का एक नाम - जरद्रव १ पु० । (२) बडे बैल का एक नाम - महोक्ष १५० । (३) तरुण बैल का एक नाम - जातोक्ष १ पु० । ( ४ ) तत्क्षण उत्पन्न बैल का एक नाम - वर्णक १ पु० । (५) गो के बछडे के दो नाम - वत्स १ शकृत्करि २ पु० । ( ६ ) शिक्षणयोग्य वृष वत्स के दो नामदम्य १ वत्सतर २ पु० । (७) अभी अभी ज़वान होते हुए वृषवत्स का एक नाम - आर्षभ १ पु० । (८) सांढिया के तान नाम - इष्ट्वर षण्ड ( षण्ढ ) २ गोपति ३ पु० । (९) युग कोष्ट - से कुचले गए बैल के कन्धा का एक नाम-वह १५० । (१०) - गाय बैल के गले के नीचे लटकते हुए के दो नाम - सास्ना १ स्त्री०, गलकम्बल २ पु० । (११) जूआ वहन करने वाले बैल के तीन नाम - प्रासङ्गय १ शाकट २ युग्य ३ पु० । (१२) हल वहन करने वाले बैल का एक नाम - 'हालिक' आदि हैं पु० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
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