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________________ द्वितीयकाण्डम् वणिग्वर्गः १० 'बल्लवाssभीर गोपाला गोपोऽथ "वृषभो वृषः । बलीवर्दर्षभो क्षाणा अनड्वांसोऽथ गौर्द्वयोः ॥ २३ ॥ माहेयी सौरभेय्युत्राऽर्जुन्यधन्या सुरभिर्गवि । योत्तमा नैचिकी, भेदाः शबैली धवलादिकाः ||२४|| धेनूनां धैनुक गव्या गोत्रा च स्त्री गवीगुणः । गोरसो दुग्ध दध्यादिः समे गोकुलंगोधने ॥ २५ ॥ तदाशितं गवीनं गौः पूर्वं यत्राऽऽशिता त्रिषु । वत्सानां वात्संकं तद्वदुक्ष्णामौ कमित्यपि ॥ २६ ॥ २३२ ( १ ) अहीर के चार नाम-वल्लव १ आभीर २ गोपाल ३ गोप पु० । (२) बैल के सात नाम - वृषभ १ वृष २ बलीवर्द ३ ऋषभ ४ उक्षा (उक्षन् ) ५ अनड्वा (अनडुह ) ६ पु०, गौ (गो) ७ पु० स्त्री० । (३) गाय के छ नाम - माहेयी १ सौरभेयो २ उना ३ अर्जुनी ४ उन्या ५ सुरभि ६ श्री ० । ( ४ ) उत्तमा धेनु के एक नाम-नैचिकी १ त्रो० । (५) वर्णादि भेद से गाय के दो नाम - शबली १ घवला २ आदि अनेक नाम हैं । (६) धेनु समूह के चार नाम - धैनुक १ नपुं०, गव्या २ गोत्रा ३ स्त्री०, गवीगण ४ पु० । (७) गोरस के मुख्य तीन नाम - गोरस १ पु०, दुग्ध २ दधि ३ नपुं० । (८) गो संघात के दो नाम - गोकुल १ गोधन २ नपुं० । (९) जिस तृणादि युक्त स्थल-वन को गाय चर चुकी है उसका एक नाम - आशितंगवीन नपुं० । (१०) बछड़े के समूह का एक नाम वात्सक १ नपुं० । (११) बैल समूह का एक नाम - औक्षक नपुं० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
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