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________________ द्वितीयकाण्डम् २०२ क्षत्रियवर्गः ९ धारयन्त्र मपांयन्त्रे वस्तैिः स्याद्रेचके पुमान् ॥३८॥ स्याद्वेश्यालम्पटः काम-कूट: कूच तु कूचेकम् । वेत्रासनं समावेदी चाऽऽसन्दी कथितास्त्रियाम् ॥३९॥ स्यादासङ्गस्तु सम्बन्ध आसनं तू-पवेशनम् । नागर्दन्ताश्च भूमन्येव पुंसि स्याटकर्कटः ॥४०॥ चक्राऽभ्यासश्चक्रशिला तत्स्थानं तु खलूरिका । "शिबिरं कटकं षण्ढे निवेशोऽप्यथ कुजैरः ॥४१॥ द्विपो दन्तावलो दन्ती द्विरदो वारणो गजः । इभः स्तम्बे रमो नागः करी हस्ती मतङ्गनः॥४२॥ (१) फोहारा का एक नाम-धारायन्त्र [जलयन्त्र] १ नपुं. । [२] पिचकारी का एक नाम -वस्ति १ पु. । [३] वेश्यागामी के दो नाम -वेश्यालम्पट १ कामक्ट पु. । [४] ब्रूस के दो नाम–कुर्च १ कूर्चक २ नपु.। [५] कुरशी के तीन नाम-वेत्रासन १ नपुं. सभावेदी २ आसन्दी ३ स्त्री. । [६] सम्बन्ध के दो नाम -आसङ्ग सम्बन्ध २ पु. । [७] आसन के दो नाम-आसन १ उपवेशन २ नपुं.। [८] खेटी [खूटी जिस पर कपड़े टांगे जाय] के दो नाम-नागदन्त [बहुवचन] १ घटकट २ पु. । [९] चक्र चलाने को शिक्षा के दो नामचक्राभ्यास १ पु., चक्रशिला २ स्त्रो. । [१०] चक्रशिक्षा स्थान का एक नाम-खरिका १ स्त्री.। [११] सेना निवेश [छावनी] के तीन नाम-शिबिर १ कटक २ नपुं., निवेश ३ पु. । [१२] हाथी के उन्नोस नाम-कुञ्जर १ द्विप २ दन्तावल ३ दन्ती ४ द्विरद ५ वारण ६ गज ७ इभ ८ स्तम्बेरम ९ नाग १० करी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016064
Book TitleShivkosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherKarunashankar Veniram Pandya
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size13 MB
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