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________________ करकण्डु राजाको कथा सबेरे उठकर उसने अपने प्राणनाथसे इस स्वप्नका हाल कहा। दन्तिवाहन ने उसके फलके सम्बन्धमें कहा-प्रिये, स्वप्न तुमने बड़ा ही सुन्दर देखा है। तुम्हें एक पुत्ररत्नकी प्राप्ति होगी। सिंहका देखना जनाता है, कि वह बड़ा ही प्रतापी होगा। हाथीके देखनेसे सूचित होता है कि वह सबसे प्रधान क्षत्रिय वीर होगा और सूरज यह कहता है कि वह प्रजारूपी कमल-वनका प्रफुल्लित करने वाला होगा, उसके शासनसे प्रजा बड़ी सन्तुष्ट रहेगी। अपने स्वामी द्वारा स्वप्नका फल सुनकर पद्मावतीको अत्यन्त प्रसन्नता हुई। और सच है, पुत्र प्राप्तिसे किसे प्रसन्नता नहीं होती। पाठकोंको तेरपुरके रहनेवाले धनदत्त ग्वालका स्मरण होगा, जिसने 'कि एक हजार पंखुरियोंका कमल भगवान्को चढ़ाकर बड़ा पुण्यबन्ध किया था। उसीकी कथा फिर लिखी जाती है। धनदत्तको तैरनेका बड़ा शौक था। वह रोज-रोज जाकर एक तालाबमें तैरा करता था। एक दिन वह तैरनेको गया हुआ था। कुछ होनहार ही ऐसा था जो वह तैरता-तैरता एक बार घनी काईमें बिंध गया। बहुत यत्न किया पर उससे निकलते न बना। आखिर बेचारा मर ही गया। मरकर वह जिनपूजाके पुण्यसे इसी सतो पद्मावतीके गर्भ में आया। उधर वसुमित्र सेठको जब इसके मरनेका हाल ज्ञात हुआ तो उसे बड़ा दुःख हुआ। सेठ उसो समय तालाब पर आया और धनदत्तको लाशको निकलवा कर उसका अग्नि-संस्कार किया । संसारकी यह क्षणभंगुर दशा देखकर वसुमित्रको बड़ा वैराग्य हुआ। वह सुगुप्ति मुनिराज द्वारा योगवत लेकर मुनि हो गया। अन्तमें वह तपस्या कर पुण्यके उदयसे स्वर्ग गया। पद्मावतीके गर्भमें धनदत्तके आने पर उसे दोहला उत्पन्न हुआ। उसकी इच्छा हुई कि मेघ बरसने लगें और बिजलियाँ चमकने लगें । ऐसे समय पुरुष-वेषमें हाथमें अंकुश लिये मैं स्वयं हाथी पर सवार होऊँ और मेरे साथ स्वामी भी बैठे। फिर हम दोनों घूमनेके लिये शहर बाहर निकलें। पद्मावतीने अपनी यह इच्छा दन्तिवाहनसे जाहिर की। दन्तिवाहनने उसकी इच्छाके अनुसार अपने मित्र वायुवेग विद्याधर द्वारा मायामयी कृत्रिम मेघकी काली-काली घटाओं द्वारा आकाश आच्छादित करवाया। कृत्रिम बिजलियाँ भी उन मेघोंमें चमकने लगीं। राजा-रानो इस समय उस नर्मदातिलक नामके हाथी पर, जो सोमशर्माका जीव था और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016063
Book TitleAradhana Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2005
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size21 MB
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