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________________ आराधना कथाोकश इसी समय वह देव एक दूसरे ब्राह्मणका रूप लेकर श्रीकृष्णके पास आया और उस कुत्तेकी बुराई करने लगा, उसके दोष दिखाने लगा। श्रीकृष्णने उसकी सब बातें सुन-सुनाकर कहा-अहा ! देखिए, इस कुत्ते के दाँतोंको श्रेणी स्फटिकके समान कितनी निर्मल और सुन्दर है। श्रीकृष्णने कुत्तेके और दोषों पर उसकी दुर्गन्ध आदि पर कुछ ध्यान न देकर उसके दाँतोंकी, उसमें रहनेवाले थोड़ेसे भी अच्छे भागकी उल्टी प्रशंसा ही की। श्रीकृष्णकी एक पशु के लिये इतनी उदार बुद्धि देखकर वह देव बहुत खुश हुआ। उसने फिर प्रत्यक्ष होकर सब हाल श्रीकृष्णसे कहा-और उचित आदर• मान करके आप अपने स्थान चला गया। इसी तरह अन्य जिन भगवान्के भक्त भव्यजनोंको भी उचित है कि वे दूसरोंके दोषोंको छोड़कर सुखकी प्राप्ति के लिये प्रेमके साथ उनके गुणोंको ग्रहण करनेका यत्न करें। इसीसे वे गुणज्ञ और प्रशंसाके पात्र कहे जा सकेंगे। १००. मनुष्य-जन्मकी दुर्लभताके दस दृष्टान्त अतिशय निर्मल केवलज्ञानके धारक जिनेन्द्र भगवान्को नमस्कार कर मनुष्य जन्मका मिलना कितना कठिन है, इस बातको दस दृष्टान्तों-उदा. हरणों द्वारा खुलासा समझाया जाता है। १. चोल्लक, २. पासा, ३. धान्य, ४. जुआ, ५, रत्न, ६. स्वप्न, ७. चक्र, ८. कछुआ, ९. युग और १०. परमाणु । __ अब पहले ही चोल्लक दृष्टान्त लिखा जाता है, उसे आप ध्यानसे सुनें। १. चौल्लक संसारके हितकर्ता नेमिनाथ भगवान्को निर्वाण गये बाद अयोध्यामें ब्रह्मदत्त बारहवें चक्रवर्ती हुए । उनके एक वीर सामन्तका नाम सहस्रभट था । सहस्रभटकी स्त्री सुमित्राके सन्तान में एक लड़का था। इसका नाम बसुदेव था। वसुदेव न तो कुछ पढ़ा-लिखा था और न राज-सेवा वगैरह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016063
Book TitleAradhana Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2005
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size21 MB
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