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________________ ३४१ अभिमान करनेवालीको कथा श्रीपार्श्वनाथ भगवान्की प्रतिमा विराजमान की । राजाने प्रतिमा पर लेप चढ़ानेको एक अच्छे हशियार चित्रकारको बुलाया और प्रतिमा पर लेप चढ़ानेको उससे कहा । राजाज्ञा पाकर चित्रकारने प्रतिमा पर बहत सुन्दरतासे लेप चढ़ाया। पर रात होने पर वह लेप प्रतिमा परसे गिर पड़ा । दूसरे दिन फिर ऐसा ही किया गया। रातमें वह लेप भी गिर पड़ा। गर्ज यह कि वह दिन में लेप लगाता और रातमें वह गिर पड़ता । इस तरह उसे कई दिन बीत गये। ऐसा क्यों होता है, इसका उसे कुछ भी कारण न जान पड़ा । उससे वह तथा राजा वगैरह बड़े दुखी हुए। बात असलमें यह थी कि वह लेपकार मांस खाने वाला था। इसलिए उसकी अपवित्रतासे प्रतिमा पर लेप न ठहरता था। तब उस लेपकारको एक मुनि द्वारा ज्ञान हुआ कि प्रतिमा अतिशयवाली है, कोई शासनदेवी या देव उसकी रक्षामें सदा नियुक्त रहते हैं । इसलिये जब तक यह कार्य पूरा हो तब तक तुझे मांसके न खानेका व्रत लेना चाहिये। लेपकारने वैसा ही किया। मुनिराजके पास उसने मांस न खानेका नियम लिया। इसके बाद जब उसने दूसरे दिन लेप किया तो अबको बार वह ठहर गया। सच है, व्रती पुरुषोंके कार्यकी सिद्धि होती हो है। तब राजाने अच्छे-अच्छे वस्त्राभूषण देकर चित्रकारका बड़ा आदर-सत्कार किया। जिस तरह इस लेपकारने अपने कार्यको सिद्धिके लिए नियम किया उसी प्रकार और-और लोगोंको तथा मुनियोंको भी ज्ञानप्रचार, शासन-प्रभावना आदि कामोंमें अवग्रह या प्रतिज्ञा करना चाहिए। __वह जिनेन्द्र भगवान्का उपदेश किया ज्ञानरूपी समुद्र मुझे भी केवलज्ञानी-सर्वज्ञ बनावे, जो अत्यन्त पवित्र साधुओं द्वारा आत्म-सुखकी प्राप्तिके लिए सेवन किया जाता है और देव, विद्याधर, चक्रवर्ती आदि बड़े-बड़े महापुरुष जिसे भक्तिसे पूजते हैं । ११. अभिमान करनेवालीकी कथा निर्मल केवलज्ञानके धारी जिन भगवान्को नमस्कार कर मान करने से बुरा फल प्राप्त करनेवालेकी कथा लिखी जाती है। इस कथाको सुनकर जो लोग मानके छोड़नेका यत्न करेंगे वे सुख लाभ करेंगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016063
Book TitleAradhana Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2005
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size21 MB
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