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________________ मरीचिको कथा २३ दिकोंसे बड़ा वैराग्य हुआ। वे दीक्षा लेकर मुनि हो गये। उनकी रानी पुष्पदत्ताने भी उनकी देखा-देखी ब्रह्मिला नामकी आर्यिकाके पास आर्यिकाको दोक्षा ले लो । दीक्षा ले-लेने पर भो इसे अपने बड़प्पन, राजकुलका अभिमान जैसाका तैसा ही बना रहा । धार्मिक आचार-व्यवहारसे यह विपरीत चलने लगी । और-और आर्यिकाओंको नमस्कार, विनय करना इसे अपने अपमानका कारण जान पड़ने लगा। इसलिए यह किसीको नमस्कारादि नहीं करती थी। इसके सिवा इस योग अवस्था में भी यह अनेक प्रकारकी सुगन्धित वस्तुओं द्वारा अपने शरीरको सिंगारा करती थी। इसका इस प्रकार बुरा, धर्मविरुद्ध आचार-विचार देखकर एक दिन धर्मात्मा ब्रह्मिलाने इसे समझाया कि इस योगदशामें तुझे ऐसा शरीरका सिंगार आदि करना उचित नहीं है । ये बातें धर्मविरुद्ध और पापको कारण हैं। इसलिए कि इनसे विषयोंकी इच्छा बढ़ती है। पुष्पदत्ताने कहा-नहीं जी, मैं कहाँ सिंगार-विंगार करती हूँ। मेरा तो शरीर हो जन्मसे ऐसो सुगन्ध लियो है । सच है, जिनके मनम स्वभावसे धर्म-वासना न हो उन्हें कितना भी समझाया जाय, उन पर उस समझानेका कुछ असर नहीं हाता । उनको प्रवृत्ति और अधिक बुरे कामोंकी ओर जाती है । पुष्पदत्ताने यह मायाचार कर ठीक न किया। इसका फल इसके लिए बुरा हुआ। वह मरकर इस मायाचारके पापसे चम्पापुरीमें सागरदत्त सेठके यहाँ दासी हुई। इसका नाम जैसा पूतिमुखी था, इसके मुंहसे भी सदा वैसो दुर्गन्ध निकलतो रहतो थी। इसलिए बुद्धिमानोंको चाहिए कि वे मायाको पापकी कारण जानकर उसे दूरसे ही छोड़ दें । यहो माया पशुगतिके दुःखोंको कारण है और कुल, सुन्दरता, यश, माहात्म्य, सुगति, धन-दौलत तथा सुख आदिका नाश करनेवाली है और संसारके बढ़ानेवाली लता है। यह जानकर मायाको छोड़े हुए जैनधर्मके अनुभवी विद्वानोंको उचित है कि वे धर्मको ओर अपनी बुद्धिका लगावें। ४७. मरीचिकी कथा सुखरूपी धानको हरा-भरा करनेके लिए जो मेघ समान हैं, ऐसे जिनभगवान्के चरणोंको नमस्कार कर भरत-पुत्र मरोचिकी कथा लिखो जाती है, जैसी कि वह और शास्त्रोंमें लिखी है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016063
Book TitleAradhana Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2005
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size21 MB
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