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________________ ३८२ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-सूचक शब्द सूचना व्यधने दृष्टौ गन्धनेऽभिनये स्त्रियाम् । सूचिर्नृत्य प्रभेदे च व्यधनी-शिखयोः स्त्रियाम ॥२२२५॥ हिन्दो टोका-सूचक शब्द पुल्लिग है और उसके नौ अर्थ माने जाते हैं-१. सीवनद्रव्य (सीने का द्रव्य-सूई वगैरह) २. विडाल और ३ वायस (काक) और ४. श्वा (कुत्ता) तथा ५. सूत्रधार (नाटक का प्रधान पात्र) और ६. पिशाच (राक्षस) ७. कथक (कहने वाला-सूचना देने वाला) और ८. सिद्ध (सिद्ध पुरुष विशेष) और ६. बुद्ध (भगवान् बुद्ध)। सूचना शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ बतलाये गये हैं-१. व्यधन (बीधना, वेधन करना) २. दृष्टि और ३. गन्धन (चुगली करना) और ४. अभिनय (एक्टिङ्ग करना) । सूचि शब्द भी स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. नृत्यप्रभेद (नृत्य विशेष) और २. व्यधनी (वेधन करने वाली) तथा ३. शिखा (चोटी) इस प्रकार सूचि शब्द का तीन अर्थ समझना। मूल : सूतः स्यात् पारदे त्वष्ट-वन्दिनोः सारथौ पुमान् । असौ तु वाच्यवल्लिगः प्रसूते प्रेरिते त्रिषु ॥२२२६॥ सूत्रं तन्तौ व्यवस्थायां ग्रन्थे शस्त्रादि सूचके । सूत्रकण्ठः कपोते स्यात् खञ्जरीटेऽग्रजन्मनि ॥२२२७॥ हिन्दी टोका-पुल्लिग सूत शब्द के चार अर्थ बतलाये गये हैं-१. पारद (पारा) २. त्वष्टा (बढ़ई) ३. बन्दी और ४. सारथि किन्तु ५. प्रसूत (उत्पन्न) अर्थ में सूत शब्द वाच्यवल्लिग (विशेष्यनिघ्न) बतलाया जाता है। किन्तु ६. प्रेरित अर्थ में सूत शब्द त्रिलिंग माना गया है। सूत्र शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. तन्तु (धागा) २. व्यवस्था ३. ग्रन्थ और ४. शास्त्रादिसूचक (शास्त्र वगैरह का सूचन करने वाला)। सूत्रकण्ठ शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं - १. कपोत (कबूतर) २. खञ्जरीट (खजन) और ३. अग्रजन्मा (ब्राह्मण) को भी सूत्रकण्ठ कहते हैं, इस तरह सूत्रकण्ठ शब्द के तीन अर्थ समझना । सूनः सूर्येऽनुजे पुत्रे तद्वदर्कमहीरुहे । सुनृतं मंगले सत्य प्रियवाक्ये च कीर्तितम् ॥२२२८॥ सूपस्तु सिद्धदालौ स्यात् सूदे भाण्डे च शायके । सूमं क्षीरे जले व्योम्नि सूरः सूर्येऽकंपादपे ॥२२२६॥ हिन्दी टीका-सू नु शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. सूर्य, २. अनुज (छोटा भाई) ३. पुत्र (बालक) और ४ अर्कमहीरुह (आंक का वृक्ष)। सुनृत शब्द नपुंसक माना गया है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. मंगल और २ सत्यप्रियवाक्य (सत्य और प्रिय वचन)। सूप शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ बतलाये गये हैं-१. सिद्धदालि (सीझी हुई दाल) २. सूद (पाचक रसोईया) और ३. भाण्ड (बर्तन) तथा ४. शायक (बाण)। सूम शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं-१. क्षीर (दूध) २. जल और ३. व्योम (आकाश) । सूर शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. सूर्य और २. अर्कपादप (आंक का वृक्ष) को भी सूर कहते हैं। मूल : सूक्ष्म स्यात् कैतवेऽध्यात्म सूक्ष्मोऽणौ कतकद्रुमे। सृष्टं स्याद् वाच्यवत्यक्त निर्मिते निश्चिते युते ॥२२३०॥ सेचनं क्षरणे सेके नौकायाः सेकभाजने । सैरिभो महिषे स्वर्गे सोमं स्वर्गे च काजिके ॥२२३१॥ मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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