SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 375
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३५६ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-श्वेत शब्द श्वेतः शुक्र द्वीपभेदे शुक्लवर्णे कपर्दके । श्वेताभ्रे जीरके शंखे शैलभेदे नृपान्तरे ॥२०६०॥ शिवाववतारभेदेऽसौ क्लीवं तु रजते स्मृतम् । शुक्लवर्णयुते चायं कथितौ वायलिंगकः ॥२०६१।। हिन्दी टीका-पुल्लिग श्वेत शब्द के दस अर्थ माने गये हैं-१. शुक्र (वीर्य) २. द्वीपभेद (द्वीपविशेष--श्वेत द्वीप) ३ शुक्लवर्ण (सफेद) ४. कपर्दक (कौड़ी-उषा) ५. श्वेताभ्र (सफेद बादल) ६. जीरक (जीर) ७. शंख, ८. शैलभेद (पर्वत विशेष - हिमालय पहाड़) ६. नृपान्तर (राजा) तथा १०. शिवावतार (भगवान शंकर) को भी श्वेत शब्द से व्यवहार किया जाता है किन्तु ११. रजत (चाँदी) अर्थ में श्वेत शब्द नपुंसक माना जाता है परन्तु १२. शुक्लवर्णयुत (सफेद वर्ण वाला) अर्थ में श्वेत शब्द नपुंसक माना जाता है । इस प्रकार श्वेत शब्द के कुल बारह अर्थ जानना। मूल : केतुग्रहे तथा बुद्धे श्वेतकेतुः पुमान् मतः । श्वेतधामा पुमानिन्दौ कर्पू रेऽब्धिकफे स्मृतः ।।२०६२।। अर्जुने मकरे चन्द्रे पुल्लिग: श्वेतवाहनः । श्वेता वराटिका-काष्ठपाटलाऽति विषासु च ॥२०६३॥ हिन्दी टोका-श्वेतकेतु शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१. केतुग्रह (केतु नाम का प्रसिद्ध नवमा ग्रह विशेष) और २. बुद्ध (भगवान बुद्ध)। श्वेतधामन् शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. इन्दु (चन्द्रमा) २. कर्पूर और ३. अब्धिकफ (समुद्र का फेन)। श्वेतवाहन शब्द पुल्लिग है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं--१. अर्जुन (तृतीय पाण्डव) २. मकर (मगर) और ३. चन्द्र । स्त्रीलिंग श्वेता शब्द के भी तीन अर्थ माने गये हैं-१. वराटिका (कौड़ी) २. काष्ठपाटला (लकड़ी की पाटला चौकी वगैरह) और ३. अतिविषा (अतीस)। मूल : शंखिनी क्षुरिकापत्री तुगा पाषाणभेदिषु । वलक्षबृहती श्वेतकण्टकार्योरपि स्मृता ॥२०६४।। इन्दिन्दिरे च यूकायां पुमान् षट्चरणोमतः । षट्पदोऽलिनि यूकाया मलिन्यां षट्पदी स्मृता ॥२०६५।। ___ हिन्दी टीका-शंखिनी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ माने गये हैं---१. क्षुरिकापत्री (छुरी आरा वगैरह) २. तुगा और ३. पाषाणभेदी (पत्थर को भेदने वाली) ४. वलक्षबृहती (सफेद वीणा) और ५. श्वेतकण्टकारी (सफेद कण्टकारि) । षट्चरण शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं१. इन्दिन्दिर (भ्रमर) २. यूका (लीख-जू-ढील)। पुल्लिग षट्पद शब्द का अर्थ --१. अलि (भ्रमर) होता है किन्तु स्त्रीलिंग षट्पदी शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. यूका (जू-लीख-ढील) और २. अलिनो (भ्रमरी)। मूल : षट्प्रज्ञः कामुके धर्म-काम-शास्त्रज्ञमानवे । षण्डः स्याद्गोपतौ वर्षवरे पद्मादिसंहतौ ॥२०६६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy