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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-वासना शब्द | २८६ जल आंसू) २. लोह (लोहा) और ३. उष्मा (गर्मी)। वास शब्द भी पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. अवस्थान (ठहरना) २. गृह (घर) ३. सुगन्धि (खुशबू) ४. वासक (अडूसा) और ५. पट (कपड़ा)। वासन शब्द नपुंसक है और उसके छह अर्थ माने गये हैं - १. धूपन (धूप देना) २. वस्त्र, ३. निक्षेपाधार (वासन) ४. वास (निवास स्थान) ५. ज्ञान और ६. वारिधानो (समुद्र) किन्तु ७. वस्त्र सम्बन्धी अर्थ में वासन शब्द त्रिलिंग माना जाता है। मूल : वासना भावना-ज्ञान - प्रत्याशासु निगद्यते ।। दुर्गा-देहात्म-बुद्धिजन्य मिथ्या संस्कारयोरपि ।।१६५३।। हिन्दी टीका-स्त्रीलिंग वासना शब्द के पाँच अर्थ होते हैं-१ भावना (विचार चिन्तन वगैरह) २. ज्ञान, ३. प्रत्याशा (इन्तजार) ४. दुर्गा (पार्वतो) और ५. देहात्मबुद्धिजन्यमिथ्या संस्कार (शरीरादि में आत्मबुद्धि होने से उत्पन्न मिथ्या ज्ञान-भ्रमजन्य संस्कार विशेष) को भी वासना कहते हैं । मूल : वासन्तः कोकिले कृष्णमुद्गे मलयमारुते । उष्ट्र मुद्गे च मदनद्रुमे ऽप्यवहिते त्रिषु ॥१६५४॥ वासन्ती माधवी - यूथी - पाटलासु मधूत्सवे । नेपाली गणिकार्योश्च वासरो दिन-नागयोः ॥१६५५।। वासितं ज्ञानमात्रे स्याद विहंगमरवे रुते । त्रिलिंगः ख्यात-सुरभीकृतयो वस्त्रवेष्टिते ।।१६५६॥ हिन्दी टीका-वासन्त शब्द त्रिलिंग है और उसके सात अर्थ माने जाते हैं-१. कोकिल (कोयल) २. कृष्णमुद्ग (काला मूंग) ३. मलयमारुत (मलयाचल पवन) ४. उष्ट्र (ऊंट) ५. मुद्ग (मंग-मूंग) और ६. मदनद्र म (ऑक-धतूर का वृक्ष) और ७. अवहित (सावधान)। स्त्री वासन्ती शब्द के भी छह अर्थ होते हैं-१. माधवी (माधवीलता २. यूथी (जूही) ३. पाटला (गुलाब) ४. मधूत्सव (मद्य वगैरह का उत्सव) ५. नैप नपालो (मनशिला-पत्थर) और ६. गणिकारी (अरणी-दो लकड़ी का मन्थन विशेष, जिससे आग पैदा होती है) । वासर शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. दिन और २. नाग । वासित शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. ज्ञानमात्र, २. विहंगमरव (पक्षी की आवाज) और ३. रुत (शब्द)। त्रिलिंग वासित शब्द के भी तीन अर्थ माने जाते हैं-१. ख्यात (विख्यात) २. सुरभीकृत (सुगन्धित) और ३. वस्त्रवेष्टित । मूल : स्त्री धेनुकायां स्त्रीमात्रे वाहो भारचतुष्ट्येः । तुरङ्गमे भुजेवायौ वृषे त्रिषु तु वाहके ॥१६५७।। वाहसो वारि निर्याणेऽजगरे सुनिषण्णके । वाहिको भारिके ढक्का-गोवाह-शकटादिषु ॥१६५८।। हिन्दी टोका-स्त्रीलिंग वासिता शब्द के तीन अर्थ होते हैं – १. स्त्री (औरत विशेष) २. धेनुका (हथिनी) और ३. स्त्रीमात्र (साधारण स्त्री) को भी वासिता कहते हैं। वाह शब्द पुल्लिग है और उसके पांच अर्थ माने गये हैं-१. भार चतुष्टय (पलशत) २. तुरङ्गम (घोड़ा) ३. भुजबाहु, ४. वायु, ५. वृष (बैल) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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