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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-मुष्क शब्द | २५५ मुहूर्तमल्पकाले स्याद्घटिकाद्वितयेऽस्त्रियाम् । मूर्तिः स्वरूपे काठिन्ये प्रतिमान शरीरयोः ॥१४५१।। हिन्दी टोका-मुष्क शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. अण्डकोश, २. संघात (समूह) ३. तस्कर (चोर) ४. मोक्षकद्र म (काला पाढर या लोध्र विशेष वृक्ष)। मुष्टि शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. पलवमान (परिमाण विशेष) २. त्सरु (खड्गमुष्टि) तथा ३. संपिण्डितांगुलि (बाँधी हुई अंगुलि)। मुहूर्त शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं- १. अल्पकाल (थोड़ा काल) २. घटिकाद्वितय (दो घड़ी ४८ मिनट)। मूर्ति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं -१. स्वरूप, २. काठिन्य (कठोरता) ३. प्रतिमान (प्रतिमा) तथा ४. शरीर । इस तरह मूर्ति शब्द के चार अर्थ जानना। मूल : मूलं ब्रध्ने मूलवित्ते निजे कुज-समीपयोः । मृगो मृगमदे राशौ मार्गशीर्ष कुरङ्गयोः ॥१४५२॥ पशुमात्रे हस्तिभेदे यात्रा नक्षत्रभेदयोः । मृगयुः पुंसि गोमायौ व्याधो च परमेष्ठिनि ॥१४५३॥ हिन्दी टीका-मूल शब्द नपुंसक है और उसके पांच अर्थ माने जाते हैं—१. बध्न (सूर्य) २. मूल वित्त (मूल धन) ३. निज (अपना स्वकीय) ४. कुञ्ज (विपिनी झाड़ी) और ५. समीप (निकट)। मृग शब्द पुल्लिग है और उसके आठ अर्थ माने जाते हैं -१. मृगमद (कस्तूरी) २. राशि, ३. मार्गशीर्ष (अग्रहण मास) ४. कुरङ्ग (हरिण) ५. पशुमात्र (साधारण पशु) ६. हस्तिभेद (हाथी विशेष) ७. यात्रा (याचना) और ८. नक्षत्रभेद (नक्षत्र विशेष, मृगशिरा नक्षत्र) । मृगयु शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं१. गोमायु (गीदड़) २. व्याध (व्याधा-शिकारी) और ३. परमेष्ठी (पितामह-ब्रह्मा) । मृगाङ्कश्चन्दिरे वायौ कर्पूर-मृगचिह्नयोः । मृगारिः सिंह शार्दूल-कुक्कुरेषु मतः पुमान् ॥१४५४॥ मृगी पुलहभार्यायां छन्दोभेदे मृगस्त्रियाम् । । मृतं स्यात् प्राप्तपञ्चत्वे त्रिषु याचितवस्तुनि ॥१४५५।। हिन्दी टीका-- मृगाङ्क शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं--१. चन्दिर (चन्द्रमा) २. वायु (पवन) ३. कपूर (कपूर) ४ मृगचिन्ह (हरिण का चिन्ह विशेष)। मृगारि शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. सिंह, २. शार्दूल (सबसे बड़ा पक्षी विशेष) और ३. कुक्कुर (कुत्ता)। मृगी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी तीन अर्थ माने गये हैं-१. पुलहभार्या (पुलस्त्य की भार्या) २. छन्दोभेद (छन्द विशेष) और ३. मृगस्त्री (हरिणी)। नपुंसक मृत शब्द का अर्थ-१. प्राप्तपञ्चत्व (मरण) होता है किन्तु २. याचित वस्तु के अर्थ में मृत शब्द त्रिलिंग माना जाता है। इस प्रकार मृत शब्द के दो अर्थ समझना। मूल : मृतकं मरणाशौचे कुणपेऽपि नपुंसकम् । मृत्युः पुमान् यमे कसे त्रिषु प्राणवियोजने ॥१४५६॥ शिवे बिल्वद्रुमे दण्डकाके च मृत्युवञ्चनः ।। - मृदुच्छदो भूर्जवृक्षे श्रीताले कुक्कुरद्रुमे ॥१४५७।। मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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