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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - परिवेदन शब्द | २१५ वादन वस्तु (वीणा बजाने का साधन ) । परिवाप शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. जलस्थान (कुंआ बावड़ी ) २. मुण्डन और ३. परिच्छद (परिवार ) । परिवार शब्द भी पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. परिजन ( सम्बन्धी वर्ग) २. खड्गकोष ( म्यान) और ३. परिच्छद । अग्न्याधाने परिज्ञाने विवाहे परिवेदनम् । मूल : परिवेषः परिवृतौ परिधौ परिवेषणे ॥ १२० ॥ परिष्कारस्त्वलंकारे शुद्धि - संस्कारयोरपि । भूषिताऽऽहित संस्कार - वेष्टितेषु परिष्कृतः ॥१२१०॥ हिन्दी टीका - परिवेदन शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं- १. अग्न्याधान (अग्निस्थापन ) २. परिज्ञान (सम्यग्ज्ञान) और ३. विवाह । परिवेष शब्द पुल्लिंग है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं - १. परिवृति (वेष्टन घेरना) २. परिधि ( सूर्यचन्द्र मण्डल को घेरने वाला गोलाकार रेखा विशेष) और ३. परिवेषण (परोसना ) । परिष्कार शब्द भी पुल्लिंग है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं - १. अलंकार (भूषण) २. शुद्धि ( पवित्रता) और ३. संस्कार । परिष्कृत शब्द के भी तीन अर्थ माने गये हैं- १. भूषित( अलंकृत) २. आहित संस्कार (संस्कार से सम्पन्न युक्त) और ३. वेष्टित । मूल : पर्यन्तभूमौ मृत्यौ च विधौ परिसरो मतः । परिसर्याऽन्तसरणे सर्वतोगमने स्त्रियाम् ॥१२११॥ परिस्पन्दः परिकरे रचना - परिवारयोः । परीवाहो जलोच्छ्वासे राजयोग्ये च वस्तुनि ।। १२१२ ।। हिन्दी टीका - परिसर शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. पर्यन्त भूमि ( आस पास की भूमि ) २. मृत्यु ( मरण) और ३. विधि | परिसर्या शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. अन्तसरण (निकट तक जाना) और २. सर्वतोगमन (चारों तरफ जाना ) । परिस्पन्द शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं -- १. परिकर (आरम्भ, मन्त्री वगैरह परिजन समूह ) २. रचना (यत्न, क्रिया वगैरह ) और ३. परिवार । परीवाह शब्द भी पुल्लिंग माना जाता है और उसके दो अर्थ होते हैं - १. जलोच्छ्वास ( पानी का प्रवाह वृद्धि) और २. राजयोग्य वस्तु (राजा के लायक वस्तुजात) | मूल : परीष्टिः परिचर्यायां प्राकाम्येऽन्वेषणे स्त्रियाम् । Jain Education International ग्रन्थि - पर्व तयोरपि ॥। १२१३॥ परुः समुद्रे स्वर्लोके परुषं निष्ठुरे वाक्ये नीलझिण्ट्यां परूषके । परुषं त्रिषु रूक्षे स्याद् निष्ठुरोक्तौ च कर्बु रे ।। १२१४ ।। हिन्दी टीका - परीष्टि शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं--१. परिचर्या (सेवा) २. प्राकाम्य (इच्छानुसार - यथेच्छ ) और ३. अन्वेषण ( ढूँढ़ना) । परु शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. समुद्र, २. स्वर्लोक (स्वर्गलोक ) परुष शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ माने जाते ३. ग्रन्थि (गांठ बन्धन) तथा ४. पर्वत ( पहाड़ ) । - १. निष्ठुर वाक्य (कठोर वाक्य) २ नीलझिण्डी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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