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________________ १८० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित- -नल शब्द तथा ३. विट (भड़ आलम्पट ) | नर्मदा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी तीन ही अर्थ माने जाते हैं१. नर्म सखी (रतिकेलिक्रीडा के लिये मदद करने वाली सहेली ) २. स्पृक्का (अस्य र अम्यरक नाम का प्रसिद्ध शाक विशेष) और ३. मेकलकन्यका (नर्मदा नाम की नदी विशेष ) । नल शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं - १. पोटगल (नरकट नरई) और २. दैत्य विशेष तथा ३. वानरान्तर ( वानर विशेष ) । मूल : वीरसेननृपात्मजे । नलदं सुमनोरसे ॥१०००॥ नैषधे पितृदेवे च नपुंसकन्तु पद्मेऽथ जटामास्यामुशीरे च त्रिलिंगो नलदातरि । नलिनं कमले नीरे नलिकायां पुमांस्त्वसौ ॥ १००१ ॥ हिन्दी टीका - नल शब्द के और भी चार अर्थ माने जाते हैं - १. नैषध (निषध देश का राजा ) २. पितृदेव ( पितरों का देव विशेष) और ३. वोरसेन नृपात्मज (वीरसेन नृप का आत्मज लड़का ) तथा ४. पद्म (कमल) किन्तु इस पद्म अर्थ में नल शब्द नपुंसक माना जाता है । नलद शब्द त्रिलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं - १. सुमनोरस (पुष्प रस विशेष ) २. जटामांसी (जटामांसी नाम की प्रसिद्ध औषधि लता विशेष) और ३. उशीर (खसखस ) तथा ४. नलदाता । नपुंसक नलिन शब्द के दो अर्थ होते हैं - १. कमल, और २. नीर (जल, पानी) किन्तु ३. नलिका (नली, नल) अर्थ में नलिन शब्द पुल्लिंग ही माना जाता है । मूल : विहंगमे सारसाख्ये कृष्णपाकफलद्रुमे । व्योमगंगायामब्जिन्यां कमलाकरे ॥१००२ ॥ नलिनी पद्मसन्दोहनलिका नारिकेल सुरासु च । - Jain Education International - पद्मयुक्त प्रदेशे च सामान्यकमलेऽप्यसौ ||१००३ || हिन्दी टीका - नलिन शब्द के ओर भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. सारसाख्य विहंगम (सारस पक्षी) और २. कृष्णपाकफलद्र ुम (करौंना का वृक्ष, जिसका फल करीना पकने पर काला हो जाता है) । नलिनी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके आठ अर्थ माने गये हैं - १. व्योम गंगा (आकाश गंगा) २. अब्जिनी ३. कमलाकर (कमल समूह) ४. पद्मसन्दोह नलिका (कमल समुदाय को नलिका, नली, कमल दण्ड की नली) ५. नारिकेल ( नारियल) और ६. सुरा (शराब) तथा ७. पद्मयुक्त प्रदेश (कमल सहित प्रदेश स्थल) और ८. सामान्य कमल (साधारण कमल) को भी नलिनो शब्द से व्यवहार किया जाता है, इस तरह नलिनी शब्द के आठ अर्थ समझने चाहिये । मूल : नवः पुनर्नवायां स्यात् स्तवेऽसौ त्रिषु नूतने । नष्टो नाशाश्रये नाशे मूर्च्छायां नष्टचेष्टता ॥ १००४ ॥ नस्यन्तु नासिकाग्राह्यचूर्णादौ भेषजान्तरे । नासिकायाहिते रज्जौ नासा सम्बन्धिनि त्रिषु ॥ १००५॥ हिन्दी टीका - नव शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. पुनर्नवा ( गजपुरैन ) २. स्तव (स्तुति) और ३. नूतन (नवीन) किन्तु इस नूतन अर्थ में नव शब्द त्रिलिंग माना जाता है । नष्ट शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१ नाशाश्रय (नष्ट वस्तु) २. नाश ( ध्वंस) । नष्टचेष्टता शब्द का अर्थ -- मूर्छा (बेचैनी) होता है । नस्य शब्द त्रिलिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. नासिकाग्राह्य For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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