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________________ मूल : नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-नन्दिवर्द्धन शब्द | १७६ हिन्दी टोका-नन्दिवर्द्धन शब्द पुल्लिग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं—१. शालकायनपुत्र (शालकायन ऋषि का पुत्र) २. गर्दभाण्डद्र म (लाही पीपल) ३. ईशान (भगवान् शङ्कर) ४. पक्षान्त (पक्ष का अन्त भाग) और ५. मित्र तथा ६. पुत्र (लड़का) भी नन्दिवर्द्धन शब्द का अर्थ होता है। नन्द्यावर्त शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं -- १. राजसद्मप्रभेद (राजा का महल विशेष) और २. तगरद्र म (अगर वृक्ष) । नभश्चर शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. घन (मेघ) २. वायु, ३. विद्याधर (गन्धर्वादिदेव गण विशेष) और ४. विहंगम (पक्षी)। नभो व्योम्नि नभामेघे श्रावणे च पतद्ग्रहे । घ्राणे मृणालतन्तौ च प्रावृट् पलितशीर्षयोः ॥ ६६४ ॥ नमितो नामिते जात नमस्कारे मतस्त्रिषु । नमुचिर्मदने दैत्ये नयनं प्रापणेऽक्षिणि ॥ ६६५॥ हिन्दी टीका-नपुंसक सकारान्त नभस् शब्द का अर्थ - व्योम (आकाश) होता है, और पुल्लिग नभस् शब्द के सात अर्थ माने गये हैं—१. मेघ (बादल) २.श्रावण (सावन महीना) ३. पतद्ग्रह (पीकदानी) ४. घ्राण (नाक) ५. मृणालतन्तु (कमल नालतन्तु) और ६. प्रावृट् (वर्षाकाल) तथा ७. पलित शीर्ष (सफेद केश वाला मस्तक)। नमित शब्द त्रिलिंग माना जाता है और उसके दो अर्थ माने गये हैं—१. नामित झुकाया हुआ) और २. कृतनमस्कार (नमस्कृत व्यक्ति)। नमुचि शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. मदन (कामदेव) और २. दैत्य (दानव विशेष) । नयन शब्द के भी दो अर्थ माने गये हैं-१. प्रापण (पहुँचाना) और २. अक्षि (आँख) । इस प्रकार नमुचि और नयन शब्द के दो-दो अर्थ जानना। नरन्तु रामकर्पू रे नरो नारायणेऽर्जुने । मनुष्ये पुरुषे शङ्कौ नरको निरयेऽसुरे ॥ ६६६ ।। नरेन्द्रो विषवैद्ये स्याद् वार्तिके पृथिवीपतौ।। नर्तक: केलके नागे नल चारणयोर्नटे ॥ ६६७ ॥ हिन्दी टीका-नपुंसक नर शब्द का अर्थ–१. रामकर्पूर (कपूर विशेष) होता है, पुल्लिग नर शब्द के पांच अर्थ होते हैं-१. नारायण, २. अर्जुन, ३. मनुष्य, ४. पुरुष, ५. शंकु (स्तम्भ खुंटा)। नरक शब्द के दो अर्थ होते हैं - १. नरय (नरक) और २. असुर (राक्षस)। नरेन्द्र शब्द के तीन अर्थ होते हैं१. विषवैद्य (जहर उतारने वाला प्रसिद्ध विषवैद्य विशेष) और २. वार्तिक तथा ३. पृथिवीपति (भूमिपति राजा)। नर्तक शब्द के पांच अर्थ माने जाते हैं -१. केलक, २. नाग, ३. नल, ४. चारण (भाट चारण) और ५. नट । इस तरह नर्तक शब्द के पाँच अर्थ समझना। मूल: नर्तकी करिणी नृत्यकारिणी नलिकासु च । नर्मठस्तु परीहासनिरते चूचुके विटे ॥६९८ ॥ नर्मदा नर्मसख्यां च स्पृक्का-मेकलकन्ययोः । नलः पोटगले दैत्य विशेषे वानरान्तरे ॥ ६ ॥ हिन्दी टीका-नर्तकी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. करिणी (हथिनो) २. नृत्यकारिणी (नाच करने वाली नटी) और ३. नलिका (नली)। नर्मठ शब्द पुल्लिग है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं -१. परीहास निरत (हँसी मखौल करने वाला) और २. चूचुक (स्तन का अग्र भाग) मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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