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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-धमनी शब्द | १६६ मूल: धमनी कन्धरा-नाडी - हरिद्रा - नलिकासु च । गुहा हट्टविलासिन्यो धरः कासितूलके ॥ ६३४ ॥ वसुभेदे कूर्मराजे शैलेऽथ धरणो रवौ। सेतावद्रिपतौ धान्ये लोक वक्षोजयोः पुमान् ॥ ६३५ ॥ हिन्दी टीका-धमनी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके सात अर्थ माने गये हैं—१. कन्धरा (कन्धा, गला) २. नाडी (नस) ३. हरिद्रा (हलदी) ४. नलिका (नली) ५. गुहा (पिठिवन, पिठवनी) ६. हट्ट (हाट) ७. विलासिनी (विलास करने वाली स्त्री) । धर शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. कासितूलक (रुई कपास का गद्दा) होता है । धर शब्द के और भी तीन अर्थ माने गये हैं--१. वसुभेद (वसु विशेष, आठ वसु में एक वसु) और २. कूर्मराज (कच्छप) तथा ३. शैल (पर्वत)। धरण शब्द पुल्लिग है और उसके छह अर्थ होते हैं-१. रवि (सूर्य) २. सेतु (बाँध) ३. अद्रिपति (पहाड़ का पति राजा) ४. धान्य, ५. लोक और ६. वक्षोज (स्तन)। मूल : क्लीवन्तु धारणे माने दशमांशे पलस्य च । धरणी पृथिवी - नाडी - कन्दभेदेषुशाल्मलौ ॥ ६३६ ॥ नारायणे महीधे च कच्छपे धरणीधरः।। धरा गर्भाशये भूमौ धमनी - मेदसोरपि ॥ ६३७ ॥ हिन्दी टीका-नपुंसक धारण शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं--१. धारण (धारण करना) २. मान (परिमाणविशेष) और ३. पलस्य दशमांश (पल का दशवां हिस्सा-भाग) । धरणी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके छह अर्थ होते हैं-१. पृथिवी, २. नाडी (नस) ३. कन्दभेद (कन्द विशेष) और ४. शाल्मलि (शेमर का वृक्ष) तथा ५. नारायण और ६. महीध्र (पर्वत)। धरणीधर शब्द का अर्थ१. कच्छप (काचवा, काछु) है । धरा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. गर्भाशय, २. भूमि, ३. धमनी (नस) ४. मेदस् (मेद स्मज्जा)। मूल : महादानविशेषेऽथ विष्णौ शैले धराधरः । धरुणो ब्रह्मणि स्वर्गे सम्मते सलिले पुमान् ॥ ६३८ ॥ धर्तव्यं धारणीये स्यात् स्थातव्य-पतनीययोः । धर्मोऽस्त्रीस्यादहिंसायामाचारे न्याय पुण्ययोः ॥ ६३६ ॥ हिन्दी टोका-धरा शब्द का और भी एक अर्थ होता है-१. महादान विशेष (तुलादान वगैरह) । धराधर शब्द पुल्लिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं --१ विष्णु (विष्णु भगवान्) और २. शैल (पर्वत) । धरुण शब्द भी पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. ब्रह्म (परमात्मा परमेश्वर परब्रह्म) २. स्वर्ग ३. सम्मत और ४. सलिल (जल)। धर्तव्य शब्द नपुंसक है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं-१ धारणीय (धारण करने योग्य) २. स्थातव्य (ठहरने योग्य) और ३. पतनीय (पतन योग्य) । धर्म शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. अहिंसा (हिंसा नहीं करना) २. आचार (सदाचार) ३. न्याय (इन्साफ) और ४ पुण्य (धर्म) इस प्रकार धर्म शब्द के चार अर्थ जानना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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