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________________ मूल : १४८ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित–त्राण शब्द प्रसिद्ध सोमवल्ली लता) । त्रस्त शब्द १. भीत (डरपोक) अर्थ में त्रिलिंग माना जाता है और २. द्रत (पलायित) अर्थ में नपुंसक ही माना जाता है। मूल : त्राणन्तु त्रायमाणायां रक्षणे त्रिषु रक्षिते । त्रिकं त्रिपथसंस्थाने पृष्ठवंशाधरे त्रये ॥ ८११ ॥ त्रिफलायां त्रिकटुनि त्रिमदे कण्टकत्रये । त्रिपुटो गोक्षुरे तीरे हस्तभेदे सतीनके ॥ ८१२॥ हिन्दी टोका-नपुंसक त्राण शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. त्रायमाणा (रक्षा करने वाली) और २. रक्षण (रक्षा करना) किन्तु ३. रक्षित (रक्षा किया गया) अर्थ में त्राण शब्द त्रिलिंग माना जा। है। त्रिक शब्द नपुंसक है और उसके सात अर्थ माने जाते हैं -१. त्रिपथ संस्थान (तेबटिया) जहाँ पर तीनों तरफ रास्ता जाता है उसको त्रिपथ संस्थान कहते हैं। २. पृष्ठ वंशाधर (पीठ के रीढ़ का नीचा भाग) और ३. त्रय (तीन) तया ४ त्रिफला (आँवला, हर बहेड़ा का चूर्ण विशेष) एवं ५. त्रिकटु (त्रिकटुकी चूर्ण विशेष) तथा ६. त्रिमद (तीन मद विशेष) और ७. कण्टकत्रय । (त्रिकण्टक) । त्रिपुट शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं- १. गोक्षुर (गोखूरू, गोखरू) २. तीर (बाण या नदी तट) ३. हस्तभेद (हस्त विशेष) और ४. सतीनक (मटर, वटाना) इस तरह त्रिपुट के चार अर्थ जानना। तालके त्रिपुटा तु स्यात् त्रिवृन्मल्लिकयोः स्त्रियाम् । कर्णस्फोटा रक्तत्रिवृद्देवीभेदेष्वपि स्मृता ॥ ८१३ ॥ त्रियामा यमुना - नीली - हरिद्रा-रजनीषु च । त्रिशंकुः सूर्यवंशीयनृपभेदे च चातके ॥ ८१४ ॥ हिन्दी टोका-त्रिपुट शब्द का १. तालक (ताल फल) भी अर्थ होता है क्योंकि तालफल में भी त्रिपुट-तीन भाग रहता है । त्रिपुटा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ माने गये हैं१. त्रिवृत (सफेद निशोथ, शुक्ल त्रिधारा शब्द से प्रसिद्ध औषध विशेष) २. मल्लिका, ३ कर्णस्फोटा और ४. रक्त त्रिवत् (लाल निशोथ, रक्त त्रिधारा) और ५. देवीभेद (देवी विशेष, त्रिपुरा भगवती)। त्रियामा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. यमुना (यमुना नदी विशेष) २ नीलो (गड़ी) और ३. हरिद्रा (हलदी) तथा ४. रजनी (रात)। त्रिशंकु शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं१. सूर्यवंशीयनृपभेद (सूर्यवंशी राजा) और २. चातक (चातक नाम का पक्षी विशेष, जोकि स्वाती नक्षत्र के जल का पिपासु होता है)। मार्जारे शलभे पुंसि खद्योतेऽपि प्रकीर्तितः । त्रुटिरल्पे कालभेदे सूक्ष्मैलायां च संशये ॥ ८१५ ।। हिन्दी टीका-त्रिशंकू शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं-मार्जार (विड़ाल) २. शलभ (पतंग) और ३. खद्योत (जुगनू) । त्रुटि शब्द के चार अर्थ होते हैं-१ अल्प (लेशमात्र) २. कालभेद (काल विशेष ___ क्षण, मिनट पल) और ३. सूक्ष्मैला (छोटी इलाइची) और ४. संशय (सन्देह)। इस प्रकार त्रुटि शब्द के चार अर्थ जानना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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