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________________ नानार्थोदयसागर कोष ! हिन्दी टीका सहित-तलिन शब्द | १३६ तल्पमट्टालिका-शय्या-दारेष्वस्त्री प्रकीर्तितम् । तस्करः श्रवणे चौरे स्पृक्कायां मदनद्रुमे ॥ ७५६ ॥ हिन्दी टीका-नपुंसक तलिन शब्द का अर्थ - शय्या (पलंग चारपाई) होता है। तलुन शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. युवा (जवान) और २. मारुत (पवन वायु)। तलिम शब्द नपंसक है और उसके चार अर्थ माने गये हैं -१. कुट्टिम (फर्श) २ चन्द्रहास (तलवार विशेष) और ३. तल्प (शय्या) तथा ४. वितानक (उलीच)। पुल्लिग तथा नपुंसक तल्प शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं१. अट्टालिका (अटारी) २. शय्या और ३. दार (स्त्री)। तस्कर शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ श्रवण (कान या सुनना) २. चौर और ३. स्पृक्का (अस्यर नाम का शाक विशेष) तथा ४. मदनद्र म (धतूर) इस प्रकार तस्कर शब्द के चार अर्थ जानने चाहिए । मूल : ताडोऽद्रौ ताडने शब्दे मुष्टिमेय तृणादिकौ । ताडङ्कः कर्णभूषायामाघाते ताडनं स्मृतम् ।। ७६० ॥ हिन्दी टोका-ताड शब्द के चार अर्थ होते हैं—१. अद्रि (पहाड़) २. ताडन (मारना) ३. शब्द और ४. मुष्टिमेय तृणादिक (मुष्टि मात्र घास) । ताडङ्क शब्द का अर्थ-१. कर्णभूषा (कान का आभूषण) होता है । ताडन शब्द का अर्थ-१. आघात (पीटना) होता है। मूल : ताण्डवं तृणभेदेऽस्त्री नर्तनोद्धतनृत्ययोः । तातोऽनुकम्प्ये जनके पुमान् पूज्यत्वसौ त्रिषु ।। ७६१ ॥ तान्त्रिकस्तन्त्रशास्त्रज्ञ शास्त्रतत्वज्ञ इष्यते । तापनस्तापजनके सूर्यकान्तमणौ रवौ ॥ ७६२ ॥ हिन्दी टीका-पुल्लिग तथा नपुंसक ताण्डव शब्द के तीन अर्थ होते हैं—१. तृणभेद (घास विशेष) २. नर्तन (नाच) और ३. उद्धत नृत्य (भगवान शंकर का प्रसिद्ध ताण्डव नृत्य)। तात शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१. अनुकम्प्य (अनुकम्पा दया के पात्र, कृपा करने योग्य) और २. जनक (पिता) किन्तु ३. पूज्य (पूजनीय) अर्थ में तात शब्द त्रिलिंग माना जाता है क्योंकि पुरुष, स्त्री, साधारण सभी पूजनीय हो सकते हैं । तान्त्रिक शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. तन्त्रशास्त्रज्ञ (तन्त्रशास्त्र का ज्ञाता जानकार) और २. शास्त्रतत्वज्ञ (शास्त्र का मर्मज्ञ-रहस्यवेत्ता)। तापन शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. तापजनक, २. सूर्यकान्तमणि और ३. रवि (सूर्य)। कामवाणे तामरन्तु-घृते सलिल इष्यते। अथ तामरसं स्वर्णे सारसे पदुमताम्रयोः ॥ ७६३ ॥ स्यात्तामसी जटामांसी-दुर्गा कृष्ण निशासु च । ताम्रकूटं तमाखौ स्यात् ताम्रकारस्तु ताम्रिके ॥ ७६४ ॥ हिन्दो टोका-तापन शब्द का एक और भी अर्थ होता है-१. कामबाण । तामर शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. घृत (घो) और २. सलिल (जल-पानी)। तामरस शब्द नपंसक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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