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________________ मूल: १३८ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-तरुण शब्द तरुणो नूतने यूनिचित्रके स्थूलजीरके। तरुणी गृहकन्यायां युवत्यां सेवतीसुमे ॥ ७५२ ॥ गन्धद्रव्यान्तरे दन्तीपादपेऽपि प्रकीर्तिता। तर्को वितर्क ऊहादावाकांक्षा हेतुशास्त्रयोः ।। ७५३ ॥ हिन्दी टीका-तरुण शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं -१. नूतन (नया) २. युवा (जवान) और ३. चित्रक (चितकबरा) तथा ४. स्थूलजीरक । तरुणी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पांच अर्थ होते हैं -१. गृह कन्या, २. युवती ३. सेवती सुम (फूल विशेष) ४. गन्ध द्रव्यान्तर (गन्ध द्रव्य विशेष) और ५. दन्तीपादप (दन्ती नाम का औषध)। तर्क शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. वितर्क, २. ऊहादि, ३. आकांक्षा और ४. हेतु शास्त्र (वैशेषिक)। मूल : न्यायशास्त्रे कर्मभेदे तर्दूः स्याद् दारुहस्तके । तर्पणं प्रीणने तृप्तौ यज्ञकाष्ठे जलार्पणे ॥ ७५४ ॥ तर्षोऽभिलाषे तृष्णायां सूर्येप्लव - समुद्रयोः । तलं स्वरूपेऽनूर्वेऽस्त्री, क्लीवं ज्याघातवारणे ॥ ७५५ ॥ हिन्दी टीका -तर्क शब्द के और भी दो अर्थ माने गये हैं-१. न्यायशास्त्र और २. कर्मभेद (कर्म विशेष) । तर्दू शब्द का अर्थ-१. दारुहस्तक (डम्बुक भात, दाल, शाक परोसने का बर्तन विशेष) है। तर्पण शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ होते हैं -१. प्रीणन (खुश करना) २. तृप्ति (तृप्त होना) ३. यज्ञकाष्ठ (तर्पणी) और ४. जलार्पण (पितरों को जल देना)। तर्ष शब्द पुल्लिग है और उसके पांच अर्थ माने जाते हैं-१. अभिलाष, २. तृष्णा, ३ सूर्य, ४. प्लव (तैरना) और ५. समुद्र । पुल्लिग तथा नपुंसक तल शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. स्वरूप और २. अनुवं (नीचा) किन्तु ३. ज्याघातवारण (धनुष को प्रत्यंचा डोरो के आघात चोट का वारण हटाना) अर्थ में तल शब्द नपुंसक ही माना गया है । कार्यबीजे वने गर्ते मध्ये पादतलस्य च । तलः स्वभाव आधारे तन्त्रीघात चपेटयोः ॥ ७५६ ॥ ताल वृक्षेत्सरौ पुंसि तडागे तलकं स्मृतम् । तलिनो दुर्बले स्तोके विरल स्वच्छयोस्त्रिषु ॥ ७५७ ॥ हिन्दी टीका --नपुंसक तल शब्द के और भी चार अर्थ माने जाते हैं-१. कार्य बीज (कार्य का मूल कारण) २. वन, ३. गर्त (खढ्ढा) और ४. पादतल मध्य (पाँव के तल भाग का मध्य)। पुल्लिग तल शब्द के चार अर्थ माने गये हैं -१. स्वभाव (आदत) २. आधार, ३. तन्त्रीघात (वीणा की तन्त्रो डोरी का आघात) और ४. चपेट (थप्पड़) किन्तु–१. ताल वृक्ष (ताड़ का वृक्ष) और २. त्सरु (खड्ग को मुष्टि) इन दो अर्थों में भी तल शब्द पुल्लिग ही माना जाता है। तलिन शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं—१. दुर्बल और २. स्तोक (थोड़ा) किन्तु १. विरल और २. स्वच्छ इन दोनों अर्थों में तलिन शब्द त्रिलिंग माना गया है। इस प्रकार तलिन शब्द के चार अर्थ जानना। मूल : नपुंसकं तु शय्यायां तलुनो यूनिमारुते । तलिमंकुट्टिमे चन्द्रहासे तल्पे वितानके ।। ७५८ ॥ मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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