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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टोका सहित-चन्दन शब्द | १०५ हिन्दी टीका-चन्दन शब्द अस्त्री-पुल्लिग और नपुंसक है और उसका अर्थ-१. भद्रसार चानन (चन्दन) होता है किन्तु २. रक्तचन्दन (रक्त चानन) अर्थ में चन्दन शब्द केवल नपुंसक ही माना जाता है। चन्दिर शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. कुञ्जर (हाथी) और २. चन्द्र (चन्द्रमा)। चन्दनी शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ-१. सरिदन्तर (नदी विशेष) होता है। चन्द्र शब्द पुल्लिग है और उसके सात अर्थ माने जाते हैं-१. चन्द्रमस् (चन्द्रमा) २. स्वर्ण (सोना) ३. काम्पिल्य (कबीलाकपीला) ४. बर्हचन्द्रक (मोर का पांख) और ५. शोणमुक्ताफल (लाल मोती) और ६. द्वीप विशेष एवं ७. कमनीय (रमणीय सुन्दर) इस तरह चन्द्र शब्द के सात अर्थ समझना। आह्लादजनकद्रव्ये विसर्गे सलिले पुमान् ।। ५६७ ॥ चन्द्र को मत्स्यभेदेस्यान्न खरे बहमेचके । अथचन्द्रकला वाचमत्स्य - द्रगडवाद्ययोः ।। ५६८ ॥ हिन्दी टीका-पुल्लिग चन्द्र शब्द के और भी तीन अर्थ माने जाते हैं-१. आह्लादजनकद्रव्य (अलौकिक आनन्दजनक द्रव्य विशेष) तथा २. विसर्ग (त्याग) और ३. सलिल (जल)। चन्द्रक शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं -- १. मत्स्यभेद (मछलो विशेष) २. नखर (नाखून, जिसका आकार अर्ध चन्द्र के समान टेढ़ा होता है इसीलिए नखर (नाखून, नख, नह) को चन्द्रक शब्द से व्यवहार किया जाता है। और ३. बर्हमेचक-मोर के पिच्छ में भी अर्ध चन्द्राकार श्यामल चिह्न होता है इसीलिए बर्हमेचक (मोर की श्याम पांख) को भी चन्द्रक शब्द से व्यवहार किया जात है। चन्द्रकला शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. वाचमत्स्य (मत्स्य विशेष) और २. द्रगडवाद्य (वाद्य विशेष)। चन्द्रस्य षोडशे भागे भेदे भूषण-पुष्पयोः । चन्द्रकान्तश्चन्द्रमणौ करवे रजनौ स्त्रियाम् ॥ ५६६ ॥ चन्द्रपल्यामथो चन्द्रप्रभस्तीर्थङ्करान्तरे । चन्द्रशाला स्मृता ज्योत्स्ना प्रासादोपरिगेहयोः ॥ ५७० ॥ हिन्दी टीका-चन्द्रकला शब्द के और भी तीन अर्थ माने जाते हैं- चन्द्रस्य षोडश भाग (चन्द्रमा का सोलहवां भाग हिस्सा अंश) और २. भूषणभेद (भूषण अलंकार विशेष जिसको चन्द्रहार शब्द से व्यवहार किया जाता है उसको भी चन्द्रकला कहते हैं) तथा ३. पुष्पभेद (फूल विशेष) को भी चन्द्रकला कहते हैं। चन्द्रकांत शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं -१. चन्द्रमणि (चन्द्रकांतमणि) और २. कैरव (कुमुद, भेंट, सफेद कमल) को भी चन्द्रकांत कहते हैं। किन्तु ३. रजनि (रात) अर्थ में चन्द्रकांता शब्द स्त्रीलिंग माना जाता है । इसी प्रकार ४. चन्द्रपत्नी अर्थ में भी चन्द्रकांता शब्द स्त्रीलिंग ही माना जाता है। चन्द्रप्रभ शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. तीर्थङ्करांतर (तीर्थङ्कर विशेष, जिनका नाम चन्द्रप्रभ है, उनको भी चन्द्रप्रभ कहते हैं।) चन्द्रशाला शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं --१. ज्योत्स्ना (चाँदनी) और २. प्रासादोपरिगेह (महल के ऊपर भाग का छोटा-सा घर) को भी चन्द्रशाला कहते हैं इस प्रकार चन्द्रशाला शब्द के दो अर्थ जानना। .. मूल : . चन्द्रशेखरईशाने भैरवे पर्वतान्तरे। . .. चन्द्रा गुडूच्यामेलायां वितानेऽपि स्मृतां स्त्रियाम् ॥५७१।। मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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