SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 117
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६८ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित--घट शब्द मूल : कुम्भकाख्य समाधौ च कुम्भमानेऽपि कीर्तितः । घटा समूहीकरणे सभायां घटनेवये ॥ ५२५ ॥ घटिका तु मुहूर्ते स्यात् चरण ग्रन्थिदण्डयोः । घट्टः तीर्थावतारेऽथ घट्टगा सरिदन्तरो ॥ ५२६ ।। हिन्दी टीका- घट शब्द के और भी दो अर्थ होते हैं -१. कुम्भकाख्य समाधि (कुम्भक नाम की समाधि प्राणायाम विशेष) और २. कुम्भमान (एक घड़ा भर)। घटा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं -१. समूहीकरण (समुदाय) २. सभा, ३. घटन (संघटन करना) और ४. चय (समूह) । घटिका शब्द भी स्त्रीलिंग है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं-१. मुहूर्त (दो घड़ी ४८ मिनट) २. चरण ग्रन्थि और ३. दण्ड (पल) । घट्ट शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ तीर्थावतार (तालाब वगैरह का घाट) है । घट्टगा शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ सरिदन्तर (नदी विशेष) है। मूल : घण्टा स्त्रियां नागवला-कांस्यवाद्य विशेषयोः । घण्टा पाटलिवृक्षेऽथ घण्टाकर्णो गणान्तरे ।। ५२७ ।। घण्टापथो राजमार्गे दशधन्वन्तरे स्मृतः । घनं मध्यमनृत्ये स्यात् लौहवाद्य विशेषयोः ॥ ५२८ ॥ हिन्दी टीका-घण्टा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं.-१. नागवला (औषध विशेष, बला, गंगेरन, कंकही) २. कांस्य वाद्य विशेष (घण्टा) और ३. घण्टापाटलि वृक्ष (गुलाब का विशेष वृक्ष) । घण्टाकर्ण शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ गणान्तर (गण विशेष, शङ्कर भगवान् का प्रमथादि गण विशेष का नाम घण्टाकर्ण) है। घण्टापथ शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. राजमार्ग (मेन रोड) और २. दशधन्वन्तर । घन शब्द नपुंसक है और उसके भी दो अर्थ होते हैं-१. मध्यमनृत्य (नृत्य विशेष) और २. लौह वाद्य विशेष (लोहा का बाजा विशेष)। मूल: घनः शरीरे विस्तारे मुद्गरे वारिदेऽभ्रके । लोहे समूहे मुस्तायां दृढे दाढ्ये निरन्तरे ।। ५२६ ।। सम्पुटे पूर्ण-कफयोः सजातीयाङ्कपूरणे । पुमान् घनरसोनीरे पीलुपयर्यां च मोरटे ॥ ५३० ।। हिन्दी टीका-- धन शब्द पुल्लिग है और उसके ग्यारह अर्थ माने जाते हैं – १. शरीर (देह) २. विस्तार (फैलाव) ३. मुद्गर (गदा) ४. वारिद (मेघ) ५. अभ्रक (अबरख, बादल) ६. लोह (लोहा) ७. समूह (संघ, समुदाय) ८. मुस्ता (मोथा) ६. दृढ़ (मजबूत) १०. दाढ्य (दृढ़ता) और ११. निरन्तर (सघन, निबिड, लगातार) । इसी प्रकार और भी चार अर्थ घन शब्द के माने जाते हैं-१. सम्पुट (पनवट्टा) २. पूर्ण (पूरा) ३. कफ (जुखाम) और ४. सजातीयाङ्कपूरण (सजातीय एक प्रकार की संख्या का पूर्ण करने वाले अङ्क को भी कहते हैं)। धनरस शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं१. नीर (पानी, जल) २. पीलुपर्णी (चिनार, चुरनहार धनुष के लिए उपयोगी लता विशेष) और ३. मोरट (गन्ने की जड़, इक्षु का मूल, शेरडी का जड़ भाग) इस लरह धनरस शब्द के तीन अर्थ जानना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy