SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 503
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हेमापूर्ण-हावन और सुकान्त इसके भाई थे। मपु० ४३.१२१, १२४, १२७, १३४, पापु० ३.४०-४१ दे० अकम्पन (२) जम्बूद्वीप का एक देश । राजा सत्यन्धर का राजपुर नगर इसी देश में था। मपु० ७५.१८८, पापु० ३.११४ हेमापूर्ण-रावण का अधीनस्थ एक राजा । पपु० १०.२४-२५ हेमाभ-(१) जम्बूद्वीप के पुन्नागपुर नगर का राजा। इसकी रानी यशस्वती आगामी भव में कृष्ण की रानी गौरी हुई थी। मपु० ७१. ४२९-४३० (२) सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । मपु० २५. १९८ हेमाभनगर-सुजन देश का एक नगर । जीवन्धरकुमार ने यहां के राजा दृढ़ मित्र की पुत्री हेमाभा को विवाहा था। मपु० ७५.४२०-४२८ हेमामा-हेमाभानगर के राजा दृढ़ मित्र और रानी नलिना की पुत्री। मपु०७५.४२०-४२१ दे० हेमाभनगर हेयावेयविचक्षण-सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । मपु० २५.२१४ हेमवत-छः कुलाचलों से विभाजित सात क्षेत्रों में दूसरा क्षेत्र । इसका विस्तार २१०५१२ योजन है। मपु० ६३.१९१, पपु० १०५.१५९ १६०, हपु० ५.१३-१४ दे० क्षेत्र हैमवतकूट-(१) हिमवत् कुलाचल के ग्यारह कूटों में दसवाँ कूट । हपु. ५.५४ दे० हियवत् (३) महाहिमवान् कुलाचल के आठ कूटों में तीसरा कूट । हपु० ५.७१ दे० महाहिमवान् हेरण्यवत-(१) जम्बूद्वीप के सात क्षेत्रों में छठा क्षेत्र । इसका विस्तार २१०५१र योजन है । मपु० ६३.१९२, पपु० १०५.१५९-१६०, हपु० ५.१३-१४, दे० क्षेत्र (२) रुक्मी पर्वत के आठ कूटों में सातवां कूट । हपु० ५.१०३ (३) शिखरी पर्वत के ग्यारह कटों में तीसरा कूट । हपु० ५. TTTT जैन पुराणकोश : ४८५ छः सरवरों में श्री, ह्री, घृति, कीर्ति, बुद्धि और लक्ष्मी देवियाँ तथा शेष में नागकुमार देव रहते हैं । आदि के छः सरोवर छ: महाकुलाचलों के मध्यभाग में पूर्व से पश्चिम लम्बे हैं। इनसे गंगा-सिन्धु आदि महानदियां निकली है। पदम सरोवर से गंगा, सिन्धु से रोहितास्या, महापद्म सरोवर से रोह्या और हरिकान्ता, तिगंछ से हरित् और सीतोदा, केशरी सरोवर से सीता और नरकान्ता, महापुण्डरीक से नारी और रूप्यकूला तथा पुण्डरीक ह्रद से सुवर्णकला, रक्ता और रक्तोदा महानदियां निकली है । मपु० ६३.१९७-२०१, हपु० ५.१२०-१२२, १३१-१३५ लववती-विदेहक्षेत्र की बारह विभंगा नदियों में दूसरी नदी । यह नील पर्वत से निकली है । मपु० ६३.२०५-२०६, हपु० ५.२३९ । हा-बारह विभंगा नदियों में प्रथम नदी । मपु० ६३.२०५-२०६ हो-(१) छः जिनमातृक दिक्कुमारी देवियों में एक देवी । यह तीर्थंकरों की गर्भावस्था में गर्भ का संशोधन करके लज्जा नामक अपने गुण का जिन माता में संचार करती हुई उनकी सेवा करती है और पद्म सरोवर में स्थित मुख्य कमल में रहती है। इसको आयु एक पल्य की होती है । मपु० १२.१६३-१६४, ३८.२२२, २२६, ६३.२००, हपु० ५.१३०-१३१, वीवच० ७.१०५-१०८ (२) रुचकवर गिरि की उत्तरदिशा के आठ कूटों में छठे कुण्डलकुट की देवी। यह चमर लेकर जिनमाता की सेवा करती है। हपु० ५.७१६ . . (३) ज्योतिःपुर नगर के राजा हुताशनशिख की रानी । इसकी पुत्री सुतारा सुग्रीव की रानी थी । पपु० १०.२-३, १० (४) महाहिमवान् पर्वत के आठ कूटों में पांचवां कूट । हपु० ५.८९ (५) निषधाचल के नौ कूटों में पांचवां कूट । हपु० ५.८९ ह्रीमन्य-(१) विद्याओं की साधना के लिए प्रसिद्ध तथा संजयन्त मुनि की प्रतिमा से युक्त एक पर्वत । हिरण्यरोम तापस यहीं का निवासी था । यहाँ पाँच नदियों का संगम है। वसुदेव ने यहाँ बालचन्द्रा नामक कन्या को नागपाश से छुड़ाया था। धरणेन्द्र के संकेतानुसार विद्याक्षरों ने संजयन्त मुनि की पांच सौ धनुष ऊंची प्रतिमा स्थापित करके यहीं अपनी गयी हुई विद्याएँ पुनः प्राप्त की थीं। विद्याओं के हरे जाने से इस पर्वत पर लज्जित होकर नीचा मस्तक किए हुए विद्याधरों के बैठने से यह पर्वत इस नाम से प्रसिद्ध हुआ। मपु. ६२.२७४, हपु० २१.२४-२५, २६, ४५-४८, २७.१२८-१३४ हवन-(१) लंका का एक द्वीप । पपु०४८.११५ (२) रावण का पक्षधर एक गजरथी राजा । पपु० ५७.५८ हैहय-विद्याधरों की आवासभूमि । यहाँ का राजा राम का पक्षधर ___था । पपु० ५५.२९ हेहिड-रावण का पक्षधर एक राजा । रथन पुर के राजा इन्द्र को जीतने के लिए यह रावण के साथ गया था । पपु० १०.३६-३७ होता-भरतेश द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । मपु० २४.४१ हब-वर्षधर पर्वतों के कमलों से विभूषित सरोवर । विदेह में ये सोलह है । उनके क्रमशः नाम है-पद्म, महापद्म, तिगंछ, केसरी, महापुण्डराक, पुण्डराक, निषष, दवकुरु, सूप, सुलस, विद्युत्प्रभ, नोलवान, उत्तरकुरु, चन्द्र, ऐरावत और माल्यवान् । इनके आदि के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016061
Book TitleJain Puran kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
PublisherJain Vidyasansthan Rajasthan
Publication Year1993
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy