SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 282
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ : ६-२,. ४३ ] ६. दानफलम् २ २६१ पल्याष्टलक्षकभागे गते सीमंधरो जातो यशोधारिणीपतिः, पञ्चविंशत्यधिकसप्तशतबाणा. सनोत्सेधः, पल्यदशलक्षकभागायुः, हाटकाभः, सीमाव्याजे कृतशासनः', प्रदर्शितहा-मानीतिः। अनन्तरं पल्याशीतिलौकभागे गते विमलवाहनो जातः सुमतिदेव्याः पतिः, सप्तशतदण्डोत्सेधः, पल्यकोट्येकभागजीवितः, हेमकान्तिः, कृतवाहनारोहणोपदेशः, प्रवर्तितहा-मानीतिश्च । अनन्तरं पल्याष्टकोट्येकभागेऽतीते चक्षुष्मानजनि धारिणीपतिः, पञ्चसप्तत्यधिकषटशतचापोत्सेधः, पल्यदशकोट येकभागजीवितः, प्रियङ्गुवर्णः, कृतोत्पन्नशिशुदर्शनभयापहारस्तथैव शिक्षितजनश्च । अनन्तरं पल्याशीतिकोट येकभागेऽतीते यशस्वी जातः कान्तमालाप्रियः, सार्धषट्शतचापोत्सेधः, पल्यशतकोटयेकभागजीवितः, प्रियङ्गुवर्णः, कृतसंज्ञाव्यवहारः, तथैव शिक्षितजनश्च । अनन्तरं पल्याएशतकोटयेकभागेऽतिक्रान्ते जातोऽभिचन्द्रः इसके पश्चात् पल्यका आठ लाखवाँ भाग (१००) बीत जानेपर सीमंधर नामका छठा कुलकर उत्पन्न हुआ। इसकी प्रियाका नाम यशोधारिणी था। इसके शरीरकी ऊंचाई सात सौ पच्चीस धनुष, वर्ण सुवर्णके समान और आयु पल्यके दस लाखवं भाग ( 66 ) प्रमाण थी। उसने सीमाके व्याजमें शासन किया, अर्थात् उसके समयमें जब कल्पवृक्ष अतिशय बिरल होकर थोड़ा फल देने लगे तब उसने उनको अन्य वृक्षादिकोसे चिह्नित करके प्रजाजनके झगड़ेको दूर किया था। इसने अपराधको नष्ट करनेके लिए 'हा' के साथ 'मा' नीति ( खेद है, अब ऐसा न कहना) का भी आश्रय लिया था। इसके पश्चात् पल्यका अस्सी लाखवाँ भाग ( ००००) बीत जानेपर विमलवाहन नामका सातवाँ कुलकर उत्पन्न हुआ। उसकी देवीका नाम सुमति था। उसके शरीरकी ऊँचाई सात सौ धनुष, वर्ण सुवर्ण जैसा और आयु पल्यके करोड़वें भाग ( २०८०००) प्रमाण थी। उसने हाथी आदि वाहनोंके ऊपर सवारी करनेका उपदेश दिया था। दण्डनीति इसने भी 'हा-मा' स्वरूप ही चालू रखी थी। इसके पश्चात् पल्यका आठ करोड़वाँ भाग ( ८००००००) बीत जानेपर चक्षुप्मान् नामका आठवाँ कुलकर उत्पन्न हुआ। इसकी प्रियतमा का नाम धारिणी था। उसके शरीरकी ऊँचाई छह सौ पचत्तर धनुष, वर्ण प्रियंगुके समान और आयु पल्यके दस करोड़वें भाग ( १०००००) प्रमाण थी। इसके समयमें आयोकी सन्तानके उत्पन्न होनेपर उसका मुख देखने को मिलने लगा था। उसको देखकर उन्हें भय उत्पन्न हुआ। तव चक्षुष्मानने संबोधित करके उनके इस भयको नष्ट किया था। इसने भी प्रजाजनको शिक्षा देने के लिये 'हा-मा' नीतिका ही उपयोग किया था । पश्चात् पल्यका अम्सी करोड़वाँ भाग बीत जानेपर (2000००००) यशम्बी नामका नौवाँ कुलकर उत्पन्न हुआ। उसकी प्रियाका नाम कान्तमाला था । उसके शरीरकी उँचाई साढ़े छह सौ धनुष, वर्ण प्रियंगु जैसा और आयु पल्यके सौ करोड़ भाग (१०००००००००) थी। उसने व्यवहारके लिए बालकोंके नाम रखनेका उपदेश दिया था । आयोंको शिक्षा देनेके लिये वह भी 'हा-मा' इस नीतिका ही उपयोग किया करता था । इसके पश्चात् पल्यका आठ सौ करोड़वाँ भाग बीत जाने पर अभिचन्द्र नामका १. ब सीमान्याजेकृतशासनप्र श सीमाव्याजेकृतमाशनः । २. ब जीवनः। ३. श यशरवीकामजातः । ४. श सार्द्धषट्चापों । ५. फक्रांतेऽभिचंन्द्रो जातः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016057
Book TitlePunyasrav Kathakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamchandra Mumukshu, A N Upadhye, Hiralal Jain, Balchandra Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy