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________________ निक्खम आगम शब्दकोश निग्गंथी नाया०१।१।१८६,२।११५०;२।१५.अंत०५।३७,६७, निगच्छ [नि+गम्] -निगच्छउ, नाया० १११८॥३६ १०१; ८.१६. अणु० ११८ निगम [निगम] सम० ३०।१।१६. भ० ११४६;११।६१; निक्खम [निर्+क्रम्] -निक्खमइ,नाया०१।८।२३०. १६।६५. नाया० १।१।२४, ८१, ११८; १।२।१०,५६; -निक्खमंति, नाया० ११८१०७. -निक्खमामि, १।१४।४३; १।१६।९७, १६६, २२६; १।१७।१७. नाया०. शा२०१. -निक्खमिस्सामि, नाया० अंत० ३।८१. पण्हा० ८।२ श६।१६२ निगर [निकर] भ०१४६३.नाया०१।१।२४; ११८७२. निक्खमण [निष्क्रामत् ] आ० चू० २।४६; ३।२ उवा० २।३४. पण्हा० ४।८. विवा० १।६।१५ से २२ निक्खमण[निष्क्रमण]सम०१२।३।१.नाया०१।१।१२५, निगरिय [निकरित ] पण्हा० ४।७ १२६; १।५।१६ से २१, २७; १।८।२००।१, २२४. निगल [निगड] पण्हा० १।१३; १०।१८ अंत०३।८४ ; ५।१६,२३; ६।६६.अणु०३।१६,६८,७४. निगिण्ह [नि । ग्रह ] -निगिण्हेइ, भ० ७।२०३ पण्हा०८।१३. विवा० २।११३४ ।। निगिण्हित्ता [निगृह्य] भ० ७।२०३ निक्खमणाभिसेय[निष्क्रमणाभिषेक नाया० १।५।२८, निगुंजमाण [निगुञ्जत् ] नाया० १।६।१० ६८; १।१६।३१५; १।१९।१८ निगुरंब [निकुरम्ब] पण्हा० ४७ निक्खममाण[निष्क्रामत् ] सम०८२।१.नाया०१।५।२०; निगह [नि । गृह ] -निगू हेज्जा, सम० ३०।१।७ १।८।१९४, २०३, २१६. अणु० ३।१८ निगोद [निगोद भ० २५।२७३, २७४ निक्खमित्ता [निष्क्रम्य] नाया०१।८।१०७ निगोय [निगोद] भ० १६।२४ निक्खम्म [निष्क्रम्य] आ० २।३७ निग्गंथ [निर्ग्रन्थ ] आ० ३७. आ० चू० ६।२. नाया० निक्खित्त [निक्षिप्त] आ०चू०१।१०२.नाया० १।११५३, १११।१०१,११२, ११३, १५२ से १५५,१८६, १९१, १८१, १८६; १।१३।१४. उवा० ११६०; २।१६, ४०, १९४, २०४,२०६,२०६२।६८,७३,७६,१।३।२४, ४५; ३।१६; ४११६; २१६; ६।३४; ७१५५; ८।२६; ३४; ११४।१८; ११५२४५, ४७, ६४,७३ से ७५,८७, ९।१६; १०।१६. पण्हा० ३।८ ११८, १२४, १२५, १२६; १७।२७, ३०, ३५, ४३; निक्खित्तचरय [निक्षिप्तचरक ] पण्हा०६।६ १।८।८, ७५, ७८, ७६; १।६।४४, ५३, १।१०।३, ५; निक्खित्तसत्थ । निक्षिप्तशस्त्र सम०प्र० २४८२ १।११।३,५,७,६; १।१२।३५; १।१३।३६;१।१४।४७, निक्खिव [नि+क्षिप्] -निक्खिवइ,नाया०१।१४।३० । ४६; १२१५॥६, १४, १६; १३१६०२२ से २४, २६, निक्खिवमाण [निक्षिपत्] भ० ३।१४८; ७।२०, १२५ १०१, १०३; १।१७।२५, ३६; १४१८१४८, ६१; निक्खिवित्ता [निक्षिप्य] नाया० १।१४।३० १।१६।१२,४२, ४७; २।१।२४.उवा० ११२३,३१,५१, निक्खिवियव्व [निक्षेप्तव्य] पण्हा० ६।२१; १०।१० ५५,५६,२।१३,१६,१७,२८,३४,४०,४५से ४७,३३१३, निक्खिव्वमाण [निक्षिप्यमान] भ० १६१७ १६,१७,४।१३,१६,१७; ५१३,१६, १७,६।१३,१६, निक्खेव [निक्षेप] सम०प्र०६३. भ० ११।७२, ७७,८३, १७,२६,३०,७।३०,३७,४०,४१,४२,५३,८।१४,१६; १८८; १२।२२३; १५॥१६, २३. नाया० ११५॥५२, ६।१३; १०११३,१६,१७.अंत०११२०, ३।२६,३०,६३, ६५, १।८।१३१. उवा० ७।४२. पण्हा०२।१०.विवा० ७२,७३; ५।२१; ६।५१,८०, ८६.अणु० ३।१५.पण्हा० १२।५२ ८।१. विवा० २।१।१३ निक्खेवओ [निक्षेपतस् ] अंत०३।११७, ८।१७, २६,२८ निग्गंथी [निर्ग्रन्थी] नाया० १११।२०४, २०६, २०६; निक्खेवणा निक्षेपना] भ० २०५५; ३।१४८ । श२।६८, ७६; १।३।२४, ३४;१४।१८; ११५।१२५, निक्खेवय [निक्षेपक ] भ० २०१४६; २४१७५. विवा० १२६; ११७।२७, ३०, ३५, ४३, ११६४४, ५३; २।२।१, २।३।१ १।१०।३,५,१११११३,५,७,९१११४।४४; ११।१४, ४१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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