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________________ नावा अंगसुत्ताणि शब्दसूची निक्खंत नावा [नौ] आ० चू० ४।२६. नाया० १।८।६७, ६६,७०; -निंदामि,आ००१५।४३.भ०८।२५१. –निंदाहि, १६।१०, ११, १२१७१७. उवा० ७।४६ नाया०१।१६।११५.उवा०११७७.-निदिज्जइ ,उवा० नावावाणियग [नौवाणिजक] नाया० १।८।६४, ६६, १७५. -निदिस्सामि, भ० १०।२०. —निदिहिंति, ६७, ६६, ७१, ७२, ८१ से ८४,८६; १।१७।४ से ६, भ० १५॥१८८. -निर्देति, नाया० १।१६।११७. ६ से ११, १३, १४, १६ से २१, २९, ३० -निदेह, उवा० १७८ नाविय [नाविक ] नाया० १।६।१०।। निदंत [निन्दत् ] पण्हा० ३।२४ नास [नाश] सम०प्र० ६६. पण्हा० ४६ निंदण [निन्दन] पण्हा०६।४ नास [नश्] -नासे इ, पण्हा० ८।४ निंदणया [निन्दनता] भ० १७।४८ नासक [नाशक] पण्हा० २०११ निदणा निन्दना] पण्हा०६।१० नासणकर [नाशनकर] सम० प्र० ६४ निदणिज्ज [निन्दनीय] नाया० १।३।२४; १।४।१८; नासा[नासा]नाया०१।१।३३,१२८; १।२।७६,१।३।३४; १।५।१२५; १।१६।४२ १।४।२२,११५।१२६; ११८७२,१।१५।१४;१११७३३. निंदा [निन्दा] पण्हा० ७१३ उवा० २।२१. अणु० ३।४८. पण्हा० ११३०; ३।१७; निदिज्जमाण [निन्द्यमान] भ०३।४६.नाया०१।८।१४७; ४१७, ८; १०।१८. विवा० १।१।१४, २६, ६४, ६६; १।१६।२६, ११८ श२।१४,२४, २६,२८; १॥३॥१३; १।४।१२; ११७१७; निदित्ता [निन्दित्वा] आ० चू०१५।२५. भ० ३।४५ १६ निदियवानिन्दितव्य पण्हा०६।१७; १०११४ से १८ नासापुड [नासापुट] नाया० १।१४।२१, २२ निदु [निन्दु] विवा० १।८।१४ नासियपुड [नासिकापुट] नाया० १।८।७२ निदेयव्व [निन्दितव्य ] उवा० १।८० नासिया [नासिका] विवा० ११७७ निब [निम्ब] भ० ८।२१६।१; १८।१०६; २२।२ नाह [नाथ] नाया० १।११७ निबारग [निम्बारक] भ० ८।२१६।३ नाहि [नाभि] उवा० २।२१ निबोलिया [निम्बगुलिका] नाया० १।१६।८,२५,२६, निअत्त [नि+ वृत्] --नियत्तइ, नाया० १।८।२४ निइ [नि+इ] -निइंति, पण्हा० ७।८ निकाइयकम्म [निकाचितकर्मन् ] पण्हा० ५।१०।३ निइय [नीच] आ० चू० २।४५ निकाय [ निकाय ] आ०चू० १५।२५,४२. सम० १२।२।१ निउण[निपुण] नाया० १।१।१७, २४, ८२, १२६, १३४ निकाय [निकाच्य] आ० ४।२५ से १३७, २१३।१; १।२।८; १।३।८; १।१६।२५८. निकेय [निकेत] नाया० १।१६।१०६ उवा० ७५०. विवा० ११२७ निक्क [दे०] नाया० १।१।१२५, १२६ निउणसिप्प [निपुणशिल्प] नाया० १११।२४; १।६।१२ निक्कंखिय [निष्कांक्षित] नाया०१।३।२५,३४; ११५।४७ निउत्त [नियुक्त ] नाया० १।९।१६, २०, २१, २४ ।। निक्कट्ठ [निकृष्ट] विवा० १।३।२४, ४३ निउर [निकुर] नाया० १।६।२०।१ निक्कण [निष्कण] विवा० ११३६ निउरंब [निकुरम्ब]नाया०१।२।६; ११७।१३; १।११।२; निक्कलुण [निष्करुण] पण्हा० १।२, ४० १।१३।१६. अंत० ६।१३ निक्किट्ठ [निकृष्ट] नाया० १।१८।३५. पण्हा० ३३५ निओद [निगोद] भ० २५।२७३, २७४; ७।११६ निक्किय [निष्क्रिय] पण्हा० २।७ निओयग [निगोदक] भ० २५।२७३ ।। निक्कुट्ट [निस्+कुट्ट.] --निक्कुट्टेइ, उवा० २।३८. निद [निंद्]-निदइ,उवा०१।८२.-निदंति,भ०३।४५. –निक्कुट्ट मि, उवा० २१३४ नाया०१।८।१४६. अंत०६।५५. -निंदह,आ०५।८१. निक्खंत [निष्क्रान्त] सम०३३।१;प्र०२२५२१, २२७।१. २८ ४०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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