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________________ जैन आगम प्राणी कोश विवरण-संसार भर में इनकी सैकड़ों प्रजातियां पाई मेलिमिंद मेलिमिंद] प्रज्ञा. 1/70 [पा.] जाती हैं। इनमें रस चूसने की क्षमता बहुत अधिक होती A Kind of Viper-दुबोइया सर्प की एक जाति, है। यह अपनी सीरिंज जैसी अधस्त्वचीय सूंड को पौधे मेलिदा, हरागोनाश, कन्नाडीविरियम, कतकाइया नाग के कोमल ऊतकों में घुसाकर उसमें से पौधों का रस (उड़िया)। स्माद चूसता रहता है। आकार-3-4 फीट तक लम्बा। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीड़क-कीट] लक्षण-शरीर का रंग हरा से लेकर गहरा भूरा तक। कई सर्पो के पीली-सफेद आड़ी धारियां भी होती हैं। माहए [मागध] उत्त. 36/148 पंबू पिट पाइपर नामक सर्प का मुख चौड़ा होने के कारण AKind of Insect-कीट की एक जाति दो मुख प्रतीत होते हैं। देखें-कीड (कीट) विवरण-विश्व-भर में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। जैसे पंबू पिट पाइपर, रसल्स पाइपर, सॉस्केल्ड मिय [मग] सू. 1/4/9 ठाणं. 4/236 प्रश्नव्या. पाइपर आदि। इनकी सभी प्रजातियां विष वाली होती 1/6 हैं। पंबू पिट पाइपर क्रोधित होने पर अपना फन उठाकर Deer-सामान्य हिरण दुश्मन पर फुर्ती के साथ आक्रमण करता है। देखें-कुरंग महाकायाण विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Common Indian Snake, Indian Reptiles] मियवति [मृगपति] प्रश्नव्या. 4/ 4 नका Lion-सिंह मेसरा [मेसरा] प्रज्ञा. 1/792 देखें-सीह Black Tailed Godwit-गुडेरा, जंगराल, खग, मालगुझा, गाडविल, मेसरा। मुइंगा [मुइंगा] ओनि. 558 daon आंकार-तीतर से कुछ बड़ा। Ant-चींटी लक्षण-शरीर का रंग भूरा और चितकबरा। चोंच देखें-कीड़ीतानीतिक ऊपर की ओर थोड़ी मुड़ी हुई तथा नाजुक। उड़ते समय सफेद पूंछ के सिरे पर चौड़ी तथा काली-आड़ी पट्टी • मुगुस [मुगुंस] उवा. 2/12 प्रश्नव्या. 1/8 दिखाई देती है। सिर, ग्रीवा तथा वक्ष का रंग मोरचाई Chinchila-मंगूसा, चिंचिला omo लाल (रस्टीरेड) होता है। देखें-मंगुस विवरण-विश्व में इनकी अनेक प्रजातियां पाई मुद्धय [मुर्धज] प्रज्ञा. 1/58 [पा.] जाती हैं। खारी तथा AKind of Crocodile-घड़ियाल की एक जाति। अलवणीय जलों वाले देखें-गाह कच्छ स्थलों में बहुधा मूसग [मूषक] सू. 2/3/80 प्रज्ञा. 1/76 काफी सघन टोलियों में Mouse, Rat-चूहा अन्य अलग चिड़ियों के देखें-उंदुर (चूहा) साथ देखी जाती हैं। हमेशा सतर्क रहने और मेंढ़ में] ठाणं. 4/323 प्रबल उड़ान के कारण 'Sheep-भेड़, गाडर, मेष देखें-अमिल लोग इसे आखेट पक्षी के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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