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________________ 70 जैन आगम प्राणी कोश जाती हैं। इस वर्ग के सर्प अधिकतर विषहीन एवं कम आकार-10 इंच लम्बा गिलहरी के समान दिखने विषवाले होते हैं। इनके शरीर का रंग चित्तकबरा, काला, वाला भुजपरिसर्प प्राणी। सफेद-भूरा आदि होता है। शेष विवरण के लिए लक्षण-अति कोमल एवं सुन्दर कबूतरी रंग का फर। द्रष्टव्य-अही लम्बी टांगें खरगोश की तरह प्रतीत होती हैं। विवरण-विशेष रूप से दक्षिण अमेरिका के चिली देश मंकुलहत्थि [मत्कुणहस्तिन्] प्रज्ञा. 1/65 में पाया जाने वाला यह प्राणी सूखी चट्टानों को खोद Elephant without Tusk-बिना दांत वाला हाथी सकता है। सूखी घास आदि खाने वाला शाकाहारी जीव या उसका बच्चा। देखें-कुंजर (हाथी) है। इनकी सुन्दर खाल के कारण इन्हें बहुतायत में मारा गया, जिससे ये अब केवल चिली देश में ही स्वतंत्र रूप मंगु [मद्गु सू. 1/7/15 से पाए जाते हैं। Snak-bird, Darter-जल काक, पनडुब्बी, बानवी, [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Manand Animals, सर्प पक्षी। Nature] आकार–चील से कुछ बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग काला तथा पीठ पर रजत-धूसर मंडलि [मण्डलिन्] प्रज्ञा. 1/71 रंग की लकीरें होती हैं। सिर तथा ग्रीवा का रंग मखमली AVenomous Black Snake-मांडली सर्प, करैत, भूरा। ठोढ़ी तथा कण्ठ सफेद । सर्प जैसी पतली ग्रीवा। कंडलिया सर्प। नुकीली कटाराकार चोंच। आकार-लगभग 4 फीट लम्बा। विवरण-भारत, लक्षण-शरीर का रंग चमकीला काला या चटक पाकिस्तान, लंका कत्थई। पीठ पर आर-पार पतली श्वेत धारियां। पेट आदि देशों में पाया का रंग मोती के समान सफेद। जाने वाला यह एक विवरण-भारत, अफ्रीका एवं संयुक्त प्रान्त में पाया जलीय प्राणी है। झुंड जाने वाला यह सर्प नाग से भी चार-पांच गुणा विषैला की अपेक्षा अकेला होता है। छेड़े जाने पर यह सिर को शरीर की कुण्डलियों रहना इसका स्वभाव में छिपा कर निश्चिन्त हो जाता है और थोड़ी देर तक है। तैरते समय ग्रीवा चुप्पी के साथ बैठा रहता है। भारत में इसे मांडली, को छोड़कर पूरा शरीर कुंडलिया, करैत सर्प आदि के नाम से जानते हैं। पानी में डूबा रहता विमर्श : राजनिघंटु पृ. 600 में मंडलि सर्प को गोनास है। तेज झटके से का ही पर्यायवाची कहा है तथा पृ. 609 में जल सर्प चोंच बढ़ाकर शिकार का पर्यायवाची माना है। को दबोच लेता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, [विशेष विवरण के Common Indian Snake] लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 366] मंडुक्क [मण्डूक] ज्ञाता. 1/5/42 ठा. 4/5/4 सम. मंगुसा [मंगूसा] सू. 2/3/80, प्रश्नव्या. 1/6 प्रज्ञा. 19/1/2 भग. 8/87 1/77 Frog-मेंढक, दर्दुर। Chinchilla-गिलहरी के आकार का जीव, चिंचिला, आकार-केकड़े के समान। मंगूसा। लक्षण-शरीर की खाल चिकनी तथा जीभ चिपचिपी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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