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________________ जैन आगम प्राणी कोश हो जाता है। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Incyclopedia in 77] Colour, Nature] पुंसकोइल, पुंसकोइलग [पुंस्कोकिलक] ठाणं पिसुग [पिसुग] जीव. 3/624 10/103 भग. 16/91 Assassin Bug-चीचड़, पिस्सू। Crow-Peasant, Coucal-महुका, कुका, कुक्कू, आकार-खटमल के समान। कोयल। लक्षण-इसका मुख आगे की ओर चोंच की तरह मुड़ा आकार-जंगली कौवे के तुल्य। होता हैं, जिससे यह खन चसता है। लक्षण-शरीर का रंग चमकीला काला। चोंच विवरण-इसकी 3000 से भी अधिक प्रजातियां पाई पीली-हरी और आंखें गहरी लाल होती हैं। मादा का जाती हैं। यह गाय, भैंस, भेड़ आदि के शरीर पर रंग भरा होता है जिस पर सफेद चित्तियां और धारियां आसानी से देखा जा सकता है। होती हैं। विवरण-विश्व में इसकी अनेक जातियां पाई जाती पिसुया पिशुका] प्रज्ञा. 1/50 [पा.] हैं। ये परजीवी प्राणी हैं क्योंकि ये अपना घोंसला नहीं Flea-पिस्सू बनाते और अंडे भी कौवे के घोंसले में देते हैं। कू-कू आकार-जूं के आकार वाले छोटे कीट। की मधुर आवाज के द्वारा पहचाने जाते हैं। लक्षण-छः टांगें तथा बिना पंख का कीट। विवरण-ये कई प्रकार के होते हैं जो भेड़-कुत्ते आदि पुलगपुलक] प्रज्ञा. 1/58 के खून से अपना जीवन निर्वाह करते हैं। अर्थात यह AKind of Crocodile-घड़ियाल की एक जाति। परजीवी प्राणी है। बीमारियों को फैलाने में इनका बहुत विमर्श : राजनिघंटु पृ. 601 में पुलक को गोह का बड़ा योगदान रहता है, जैसे-प्लेग मलेरिया, आदि। पर्यायवाची माना है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature, फसल देखें-गाह पीड़क कीट] पुलय [पुलक] आ.चू. 15/28/12 ठाणं 10/163 पीलग [पीलक] भग. 7/123 [पा.] जम्बू. 2/137 Worm-कीट, लट Golden oriole-पीलक देखें-अरक आकार-मैना के समान लगभग साढ़े नौ इंच लम्बा। लक्षण-शरीर का रंग-पके हुए आम की भांति पुलाकिमिय [पुलाकिमिय, पुलाकृमिक] भग. पीला। पंख और पंछ चमकीली काली। चोंच के सिर 15/186 प्रज्ञा. 1/49 की ओर जाती स्पष्ट काली रेखा तथा लाल चोंच। मादा AKind of Worm-मलद्वार में उत्पन्न होने वाली का रंग जैतूनी हरा होता है जिस पर महीन भूरी धारियां कृमि। होती हैं। आकार-2-10 मिलीमी. लम्बा। . विवरण-असम को छोड़कर भारत में पाया जाने वाला लक्षण-शरीर का रंग सफेद, सूई की भांति नुकीला यह पक्षी प्रातः काल रुक-रुक कर सीटीनुमा मधुर मुख। आवाज के द्वारा पहचाना जाता है। इसकी 30 विवरण-मनुष्य के मलद्वार में उत्पन्न होने वाला यह प्रजातियां पाई जाती हैं। यह अपना घोसला पेड़ों पर । परजीवी प्राणी है। इसका शरीर कई छल्लों से मिलकर लटकते हुए प्यालेनुमा बनाता है। बनता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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