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________________ जैन आगम प्राणी कोश हुआ तथा पैर छोटे होते हैं। पूरे शरीर पर खुरदरे, लंबे, जानते हैं। काले-भूरे बाल होते हैं। मादा छोटे सीगों वाली तथा यह खेतों वाले खुले प्रदेशों और कम घने पर्णपाती आकार में छोटी होती है। गायन जंगलों में अकेले या झुंड के साथ रहना पसंद करता विवरण-तिब्बत, लद्दाख और उत्तरी कुमाऊ की है। भारी स्वर में किट-किट काएं-काएं की सी आवाज पहाड़ियों में पाया जाने वाला यह प्राणी 816 K.G. करता है। मनोरंजन के समय कलाबाजियां खाना, गोता तक हो सकता है। इसमें हिमालय के बर्फीले क्षेत्र तथा लगाना, कर्कश स्वर में चिल्लाना इसका विशेष स्वभाव ठंडी जलवायु में रहने की क्षमता होती है। याक घास है।। और झाड़ियां खाता है तथा मुंह या खुरों से बर्फ हटाकर विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारत के पक्षी, घास ढूंढ लेता है। यदि पानी नहीं मिलता है तो बर्फ कैयदेवनिघंटु पृ. 466] खा लेता है। यह पहाड़ियों पर आसानी से चढ़ सकता है और बर्फीली नदियों को तैर कर पार कर सकता है। चिड़ग, चिडिग [चटक] प्रश्नव्या. 1/9 प्रज्ञा. इसके बाल के चवर आदि बनाए जाते हैं। 1/79 Indian Pipit-रुगेल, चरचरी, चिड़िया। चम्मटिठ्ल [चर्मस्थिल] प्रश्नव्या. 1/ 9RE आकार-गौरेया के समान। A Bat-चमगादड़ देखें-अडिल लक्षण-शरीर के ऊपर का रंग गहरा-हरा। नीचे का रंग पीला-गेहुआ। वक्ष में भूरे रंग की धारियां तथा चोंच चास [चाष] प्रज्ञा. 1/79, 17/124 उत्त. 34/5 बहुत नाजुक। ROLLER, Blue Jay-नीलकंठ, सबजक, चाष, विवरण-विश्व भर में इसकी अनेक प्रजातियां पायी पाला पित्ता (तेलुगू) पालकुर्वी (तमिल)। जाती हैं। हल चलाए गए या कटे हुए खेतों में, चरागाह आकार-कबूतर से कुछ छोटा और लंबोतरा पक्षी। या घासवाली पथरीली भूमि में रहना पसंद करता है। लक्षण-बहु चटक रंग वाला। सिर का भाग बड़ा। "वेगटेल' पक्षी की भांति लहरदार तरीके से उड़ता हुआ चोंच काली और भारी। पूंछ नीली-पीली। पंखों पर हरे पाईपिट, पाईपिट या टसीप-टसीप ध्वनि करता है। नीले, फिरोजी रंग की झलक। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N.Dave-Indian विवरण-भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश आदि में पाए Pipit] जाने वाले चाष पक्षियों की तीन प्रजातियां हैं। नर्मदा नदी के दक्षिण में इसे मराठी में चाशा, तेलुगू में पाल चित्तचिल्लय [चित्तचिल्लड] आ. चू. 3/59, पित्ता और तमिल में पाल कुर्वी कहते हैं। दुनिया भर 1/52 के प्राणी शास्त्री इसे कारेसिअस बेंगाकेसिस नाम से Panther-तेंदुआ, गूलदार, चित्तचिल्ल। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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