SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 28 जैन आगम प्राणी कोश विवरण-भारत, बर्मा, लंका आदि देशों में पाया जाने वाला यह पक्षी नदियों, झीलों और समुद्रों के ऊपर मछली पकड़ता दिखाई देता है। शिकार का उपयुक्त अवसर आते ही अपना पंख बंद कर शिकार पर झपटता कुलक्ख [कुलाक्ष] प्रश्नव्या. 1/21 Red munia, Waxbill-लाल, लाल मुनिया, कुलक्ष, सिनिबाज, नकल खौर। चलते समय आवाज नहीं होती। ये अपना शिकार अधिकतर रात्रि को करते हैं। इनकी लंबी मूंछे स्पर्शेन्द्रिय का काम करती हैं। रात में आंखों की पुतलियां फैलने के कारण यह अंधेरे में अच्छी तरह देख सकता है। सिक्किम और असम के घने जंगलों में गोल्डन केट नामक बिलाव पाया जाता है, जिसकी त्वचा सुनहरे रंग की होती है। लद्दाख और जम्मू-काश्मीर में पालास नामक बिलाव पाया जाता है। आकार-गौरेया के समान। जिसकी पूंछ लम्बी और झवरीली होती है। असम, लक्षण-शरीर का रंग भूरा। चोंच लाल और पिछली पश्चिम बंगाल आदि में नदी-नाले के किनारे जंगलों में पीठ गहरी लाल होती है। नर-मादा दोनों एक से प्रतीत फिंशीग कैट नामक बिलाव पाये जाते हैं, जो मछलियों होते हैं। को पकड़कर खाते हैं। कई बिलाव, बिल्लियां इतनी विवरण-पंजाब और राजस्थान को छोड़कर पूरे भारत खतरनाक होती हैं कि कुत्ते भी उन पर हमला करने में पाया जाने वाला यह पक्षी हरियाली और गीली घास से कतराते हैं। में झुंड बनाकर रहता है। उड़ते समय या बैठे बैठे मधुर स्वर में चूं-धूं करता है। सुन्दर आकृति के कारण लोग कुलल [कुलल] सू. 1/11/27 प्रश्नव्या. 1/9 इसे बहुतायत में पालते हैं। Crested Serpent Eagle-डोगरा चील, कुलल [कुलल] दस.8/53 Cat-मार्जार, विलाव।। आकार-सामान्य चील आकार-10 इंच से 3-4 फीट तक लम्बा एवं 1/2 से बड़ा। रण फीट से 2 फीट तक ऊंचा। लक्षण-गहरे भूरे रंग का लक्षण-शरीर का रंग काला, सफेद, मक्खनी, धूमिल पक्षी, जिसमें सुस्पष्ट काला पीला, नीला-मखमली, चित्तकबरा, धारीदार आदि । दांत और सफेद न्यूकल शिखर लम्बे, आंखें बड़ी एवं पीले रंग वाली। होता है। जो खड़े होने पर विवरण-विश्व भर में इनकी अनेक प्रजातियां पाई फैल जाता है। निचला जाती हैं। इनके पाव गद्दीदार होते हैं। जिसके कारण भाग गेहूआं भूरा एवं सफेद बिन्दियों से युक्त होता है। कुलल। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy