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________________ 14 एलग [एडक] प्रज्ञा. 1/64 जम्बू. 2/34 द. 5/22 अनु. 12 Sheep - भेड़, मेष, मेंढ़ । देखें- अमिल ओभंजिया [अभंजिया] प्रज्ञा. 1/51 A kind of Lobster- केकड़ा की एक जाति । देखें - जलकारि ओलाबी [ओलावी आव. चू. 1 पृ. 425 Femal e = Crested - Hawk Eagle - मादा बाज, मादा शाहबाज । देखें-उलाण ओवइय [ओवइय] प्रज्ञा. 1/50 1 A kind of Sykid- कीट की एक जाति, औपपातिक । आकार-2 मिलीमीटर से 10 मिलीमीटर तक लम्बा । लक्षण - लार्वा अवस्था में ही बनाए गए कोष्ठों में रहने वाले जीव हैं विवरण — पूल शलभ (कैगट कर्म), स्थून शलभ ( बैमवर्ग), करंड शलभ आदि के नाम से जाने जाते हैं। ये कोष्ठों का निर्माण स्वयं पैदा किए हुए धागों और वानस्पतिक सामग्री से करते हैं। हर जाति की कोष्ठ बनाने की तकनीक भी भिन्न-भिन्न होती है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- फसल पीड़क कीट, Incyclopedia in colour, Nature] ओहार [ओहार] प्रश्नव्या. 3/7, 23 Hawksbill-बाजचोंचा कच्छप, अस्थि बहुल कच्छप । देखें-अट्ठिकच्छप ओहिंजलिया [ ओहिंजलिया] उत्त. 36/148, जीव. टी.प. 32 A Kind of Lobster - केकड़ा की एक जाति । देखें- जलकारि कंक [कङ्क] सू. 1/1/62 भग 7/123 जीवा. 3/598 Bellied Sea-Eagle - कोहासा, सफेद-चील, कंक । देखें-उक्कोस Jain Education International जैन आगम प्राणी कोश कंथंग [कंथक] ठाणं 4/472, उत्त. 11 / 16, 23/58 A speeies of Horse - कंथक घोड़ा (जो तोपों की आवाज से भी न डरे ) 'विवरण - कंथक घोड़ा एक जातिवान् घोड़ा होता है, जो 'युद्ध के मैदान में तोपों की भयंकर आवाज से भी विचलित नहीं होता । [शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- आइण्ण (आकीर्ण)] कंदलग [कन्दलक] प्रज्ञा. 1/63 A kind of Horse घोड़े की एक जाति । देखें - अस्स (अश्व) कंदलग [कन्दलका प्रज्ञा. 1/63 Flying Squirral- उड़ने वाली गिलहरी आकार - सामान्य गिलहरी की भांति । लक्षण - शरीर मुलायम व घने छोटे वालों से ढका रहता है। इसकी पीठ पर साधारण गिलहरी के समान सफेद रंग की दो धारियां भी पाई जाती हैं। इसके कानों के पास वाले बालों का रंग कुछ काला तथा पीठ का रंग कत्थई होता है। आमतौर पर इस गिलहरी का शरीर 13.5 सेमी. से 20.5 सेमी. लम्बा एवं पूंछ की लम्बाई 9 से.मी. से 14 सेमी. तक होती है। इनकी लटकती हुई ढीली त्वचा पैराशूट जैसा काम करती है यानि शरीर को हवा में साधे रहती है। सरलता विवरण- भारत, लंका, जापान और बोर्निया आदि देशों में पाए जाने वाला यह प्राणी, ऊंचे-ऊंचे वृक्षों पर निवास करता है। यह कड़े से कड़े फलों के छिलके बड़ी अपने तेज दांतों से कुतर डालता है। एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष तक पहुंचने के लिए हवा में तैरता हुआ 80 मी. से भी अधिक का फासला तय कर लेता है। इसके पैरों में पांच-पांच अंगुलियां होती हैं । अगले पैरों से पिछले पैरों के मध्य शरीर के दोनों ओर झिल्ली होती है। जिस पर छोटे-छोटे मुलायम रोएं होते हैं । यह एक शाकाहारी एवं रात्रिचर प्राणी है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave, पृ. 25, Nature, विश्व के विचित्र जीव जंतु, सचित्र विश्व कोश] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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