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________________ 98 हलिपत्त [हरिद्रापत्र] प्रज्ञा. 1/51 Butterfly of Yellow wings - हरिद्रपत्र वाली तितली । देखें - किण्हपत्त हलिमच्छ [हलिमत्स्य] प्रज्ञा. 1/56 Pipe Fish - पाइप मछली, हल के आकार वाली मछली । आकार - नली एवं हल के आकार की लम्बी और पतली मछली । लक्षण – इन मछलियों का शरीर हड्डी की कड़ी खोल के भीतर ढंका रहता है। शरीर का रंग हल्का हरा तथा थूथन हल की भांति मुड़ी हुई । विवरण - यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका के समुद्रों में पाए जाने वाली यह मछली, घोड़ा मछली की भांति आड़ी-तिरछी तैरती है और अपनी दुम के सिरे को किसी पौधे में लपेटकर पानी में एक स्थान पर टिकी रहती है। घोड़ा मछली की भांति अंडों की सुरक्षा का दायित्व भी नर मछली पर ही होता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, रेंगने वाले जीव] Jain Education International जैन आगम प्राणी कोश हलीमुह [हलीमुख] जम्बू. 3/35 Avocet - कुशिया चाह आकार - तीतर की अपेक्षा कुछ बड़ा । | लक्षण - काले-सफेद रंग की आकर्षक कच्छ चिड़िया, जिसके पंख लम्बे नीले और पिच्छहीन होते हैं। काली चोंच ऊपर की ओर कुछ झुकी रहती है। नर-मादा दोनों एक से प्रतीत होते हैं विवरण- भारत तथा बर्मा में पाया जाने वाला यह पक्षी जलमग्न पेड़-पौधों व कीचड़ वाली जगहों में काफी दौड़ता फिरता है। उड़ते समय बार-बार ऊंचे स्वर वाली साफ तेज 'क्लीइट' जैसी त्वरित ध्वनि करता है 1 [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 361] हलीसागर [हलीसागर] प्रज्ञा. 1/56 A kind of Pipe Fish - पाइप मछली की एक जाति । देखें- हलिमच्छ हालाहला [हालाहल] प्रज्ञा. 1/50 A kind of Insect- हालाहल, कीट की एक जाति 1 आकार- छोटे, मोटे, लम्बे अनेक आकार वाले । लक्षण - इस वर्ग के प्राणी का शरीर जुड़ा हुआ सा प्रतीत होता है। पैरों की तीन जोड़ियां होती हैं। कुछ पंख वाले तथा कुछ बिना पंख वाले भी होते हैं । विवरण- चींटी, गोवरैला, दीमक आदि इस वर्ग के सदस्य हैं। इनकी हजारों प्रजातियां वृक्षों, पेड़-पौधों, मनुष्यों एवं जानवरों के शरीर में प्राप्त होती हैं । हालाहल [हालाहल] भग. 15/1 प्रज्ञा. 1/50 Jones Saind Boya - दुमुंही सर्प । विमर्श : राजनिघंटु पृ. 602 में हालाहला शब्द को अज्जिका का पर्यायवाची माना 1 देखें- चक्कलड़ Shent हिल्लिया [हिल्लिया] प्रज्ञा 1/50 Pectinophora Gossypiella Saunders -गुलावी डोडा सूंडी । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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