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________________ 92 का मल खाकर जीवन निर्वाह करते हैं। वे अपने मन में ऐसा विचार करते हैं। यदि हमारा शरीर इन मत्स्यों के समान होता तो मुंह से एक भी प्राणी जीवित न निकल पाता। हम संपूर्ण को खा जाते। इस प्रकार के अशुभ अध्यवसाय के द्वारा मृत्यु को प्राप्त कर नरक में जाते हैं। शेष विवरण के लिए द्रष्टव्यतिमि । सावय [सावय] प्रश्नव्या 3/7 Seal - शील, जनव्याघ्र, वालरस, सबका (मलमालय), साविया (तेलुगू) आकार - लगभग छः मीटर तक लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग हल्का भूरा से काला-सफेद तक होता है । इनके पंजे बत्तख के पैर की भांति होते हैं । ये पंजे तैरने में इनकी मदद करते हैं। बच्चों के शरीर की खाल बहुत मुलायम होती है। विवरण - समुद्रों में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। उत्तरी समुद्र की शील सर्दियों के दिनों में समुद्र में घूमती रहती हैं। गर्मियों में ये हजारों मील की यात्रा कर वेरिंग सागर में प्रिणिलोफ द्वीप समूह के द्वीपों के किनारे इकट्ठी हो जाती हैं। वालरस नामक शील के मुंह के आगे दो लम्बे दांत निकले रहते हैं। कुछ नर सीलों का वजन कई हजार किलो तक होता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- रेंगने वाले जीव, Indian Reptiles] सिंगिरीडी [श्रृंगिरीटी] उत्त. 36/147 प्रज्ञा. 1 /51 A kind of Spider- मकड़ी की एक जाति । देखें - कोली Jain Education International जैन आगम प्राणी कोश सिप्पिय [शुक्तयः] उत्त 36/128 Oyster - सीप आकार - शंखों की भांति छोटे एवं बड़े आकार के । लक्षण - शरीर का रंग सफेद-भूरा होता है। दो मजबूत खोलों के बीच के छिद्र से ये जीव अपने पैरों के द्वारा गति करते हैं । एक विवरण - नदियों, समुद्रों आदि में इनकी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं। सच्चा मोती विशेष प्रकार के सीप में निकलता है। रेत का एक कण भी इनके मुलायम शरीर के लिए असहनीय होता है। जब किसी कारण से रेत का कण सीप के भीतर प्रवेश कर जाता है तो उस कण से अपनी सुरक्षा के लिए सीप एक विशेष प्रकार के द्रव्य का स्राव करता है। वही स्राव कालान्तर में मोती का रूप धारण कर लेता है। सीप की लम्बाई 1/2 इंच से एक गज तक हो सकती है । शेष - विवरण के लिए द्रष्टव्य-सिप्पिसंवुडा । सिप्पिसपुड [ शुक्तिसंपुट] प्रज्ञा. 1/49 Oyster Clame-संपुटाकार सीप । आकार- संपुटाकार । लक्षण - मजबूत चूल से जुड़े दो खोल होते हैं, जिसमें से एक जोड़ी नलिका खोल के किनारे से बाहर पहुंचती है । एक नली से पानी भीतर जाता है जिसमें खाद्य पदार्थ, जंतु एवं आक्सीजन मिली रहती है । विवरण- मीठे एवं खारे पानी में इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। यह एक विना रीढ़ का जीव है। प्रशांत महासागर में पाए जाने वाले दानवसीप (दानवक्लैम) का वजन 225 KG तक तथा लम्बाई-चौड़ाई 1 1/2 मीटर तक हो सकता है। [शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-सिप्पिय] सियाल [श्रृंगाल] प्रश्नव्या 1/6 प्रज्ञा. 1/66, 11/21 जम्बू. 2/36 Jackal - गीदड़, सियार देखें - कोल्लग सिरिकंदलग [ श्रीकंदलक] प्रश्नव्या 1/6 प्रज्ञा. 1/63 A kind of Donkey -गधे की एक जाति । देखें - खर ( गधा ) s www.cel She For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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