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________________ जैन आगम प्राणी कोश 3/3 सारंग सारंग] प्रश्नव्या. 10/16 प्रज्ञा. 1/51 जम्बू. वया, कृष्णपक्ष वया, सर्वोवया। आकार-गौरैया के समान। ABlack bee-भंवरा देखें-छप्पय (भंवरा) लक्षण-चमकदार सुनहरा पीला शिखर । सफेद कंठ और शरीर के निचले भाग पर काली पट्टी। मादा शालक सारस [सारस] ठाणं. 7/41/2 ज्ञाता. 1/5/3 का शिखर-भूरा तथा कान के पीछे एक धव्वा होता है। प्रश्नव्या. 1/9 अनु. 3/3 विवरण-तालाबों, झीलों एवं सरकण्डों वाले क्षेत्रों में Sarus crane-सारस पाया जाने वाला यह पक्षी अकेला रहना पसंद नहीं आकार-4-5 फीट की ऊंचाई वाला पक्षी। करता। यह मादा को रिझाने के लिए जानबूझ कर पंख लक्षण-शरीर का रंग ग्रे (धूसर) होता है, पैर तथा फड़फड़ाता है और बिना तेल दिए साइकिल के सिर का रंग लाल और पंख रहित होते हैं। पहिए की जैसी हल्की चूं-धूं या झींगुर की कूजन से विवरण-भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश आदि में पाया । मिलता-जुलता हंसी-ट्सि सिंक-ट्स जैसा मृदु गीत गाता जाने वाला यह पक्षी अपने आदर्श प्रेम के लिए प्रसिद्ध है। जोड़े में से एक की मृत्यु होने पर दूसरा भी कुछ । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारत के पक्षी, दिनों के बाद वियोग में प्राण त्याग देता है। मुगल जानवरों की दुनिया] बादशाह जहांगीर ने सारसों का विशेष अध्ययन किया था। सालिसच्छियमच्छ [शालिशस्त्रिक मत्स्य] प्रज्ञा. 1/56 सारा [सारा] सू. 2/3/80 प्रज्ञा. 1/76 A Civet-Cat-Fish-कैट फीस, पठिन। Pangolin-पेंगोलीन, साल, सिल्लू, बनरोहू, काठपोह, आकार-2-6 फीट लम्वा। सरैव, सार। लक्षण-शरीर का रंग सलेटी। मुंह पतला एवं देखें-सरव छोटे-छोटे दांतों वाला। पीठ पर बड़ा और नुकीला कांटा। सारिआ [सारिका] प्रवचनसारोद्वार-569 विवरण-यह मछली पकड़े जाने पर बिल्ली की तरह Hill myna-पहाड़ी मैना कर्कश स्वर करती है। इस मछली की आंखें गंदे पानी आकार-सामान्य मैना से बड़ा। में काम नहीं देतीं। इसलिए प्रकृति ने इन्हें काफी लक्षण-शरीर का रंग काला तथा पंखों पर सुस्पष्ट बड़ी-बड़ी मूंछे दी हैं, जिसके द्वारा ये इधर-उधर सफेद धब्बे। चोंच तथा टांगें काली। सिर पर चमकीले फिर सकती हैं। इनका वजन 5 मन तक होता नारंगी-पीले धब्बे और मस्से होते हैं। विवरण–पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाने वाला यह पक्षी विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-रेंगनेवाले जीव, कबूतर और हार्नेबिल की भांति शुद्ध शाकाहारी होता Marine Tropical Fish] है। लड़ते समय इसके पंख हरे कबूतर की तरह ध्वनि उत्पन्न करते हैं। जैसे किसी बर्त सालिसच्छियमच्छ [शालिशस्त्रिक मत्स्य] प्रज्ञा. 1/56 . विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 141] AKind of Ricefish-तंदुल मत्स्य की एक जाति। विवरण-तिमि. तिमिंगल आदि मत्स्यों के कान में सालग [शालकप्रश्नव्या. 1/9 शालिशिक्थ नामक मत्स्य रहते हैं, जिनका आकार Blackbreasted Weaver Bird-सालक, कंठवाल चावल के दाने के बराबर होता है। वे मत्स्यों के कान हो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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